केरल
में आज से रामायण मासम की शुरुआत
हो गई है। अनुपम हिंदू परंपरा
को अक्षुण्ण रखते हुए केरलवासी
रामायण मास में पूरे महीने
आध्यात्म रामायण का पाठ करते
हैं। हिंदू घरों और मंदिरों
में इस महीने प्रतिदिन आध्यात्म
रामायण का पाठ होता है। ये
परंपरा सदियों से अनवरत चली
आ रही है। मलयालम साहित्य के
पितामह माने जाने वाले थुनचथ
इज्हुथाचन ने मलयालम भाषा
में रामकथा पर आधारित महाकाव्य
आध्यात्म रामायण की रचना की
थी। भक्ति कृति के अलावा
आध्यात्म रामायण एक शास्त्रीय
कृति मानी जाती है, जिसमें
गायन के सौंदर्य और संगीत की
गुणवत्ता का समावेश है।
इस
पूरे पवित्र मास में कांस्य
दीप के समक्ष आद्योपांत आध्यात्म
रामायण का पाठ होता है।
मंदिरों
में रामायण के विद्वान रामकथा
की निर्झरणी का प्रवाह करते
हैं और रामकथा को सुनने और
इसके आध्यामिक संदेश को ग्रहण
करने के लिए बड़ी संख्या में
श्रद्धालु आते हैं।
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