अमेरिकी धर्म निरपेक्षता की परीक्षा में योग पास
अमेरिका
के योग प्रेमियों में खुशी
की लहर दौड़ गई है। कैलिफोर्निया
की एक अदालत ने योग को अमेरिकी
संस्कृति का हिस्सा बताते
हुए उन लोगों की याचिका को
खारिज कर दिया है,
जिन्होंने शिकायत
की थी कि स्कूलों में बच्चों
को योग की शिक्षा देने से
पूर्व के धर्म का अनावश्यक
रूप से प्रचार होता है जो
असंवैधानिक है।
योग
सांप्रदायिक है या धर्म
निरपेक्ष..
इस बात पर अमेरिकी
कोर्ट में दोनों पक्षों की
बात सप्ताहों तक सुनी गई। पक्ष
और विपक्ष ने अपने-अपने
तर्क और साक्ष्य प्रस्तुत
किए। इतना ही नहीं,
योग शिक्षकों ने
कोर्ट में योगाभ्यास का प्रदर्शन
किया और योगासनों के तरीके
बच्चों को सिखाये। अंत में
न्यायमूर्ति जॉन मैयर ने कहा
कि मौलिक रूप से योग धार्मिक
है.. लेकिन
सैन डियागो के स्कूलों में
जिस तरह से योग सिखाये जाते
हैं वो धर्मनिरपेक्षता की
कसौटी पर खरा उतरता है। मेयर
ने कहा कि यहां जिस तरीके से
योग सिखाया जाता है वो धर्म
का प्रचार नहीं करता है।
आपको बता
दें कि कैलिफोर्निया में कुछ
अभिभावकों ने स्कूलों में
योग की शिक्षा देने के खिलाफ
स्कूलों पर मुकदमा कर दिया
था कि योग एक धार्मिक शिक्षा
है और परोक्ष तौर पर इससे हिंदू
धर्म का प्रचार होता है।
गौरतलब
है कि सैन डियागो जिला स्कूल
ने 2011 में
तीन वर्षीय योग कार्यक्रम की
शुरुआत की..
इस कार्यक्रम को
के पट्टाभि जोइस फाउंडेशन की
ओर से 533000 डॉलर
की आर्थिक मदद मिली थी..
योग की कक्षा शुरू होने की वजह से कम से कम तीस परिवारों ने अपने बच्चों को स्कूल से हटा लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूलों ने योग की शिक्षा शुरू होने से चर्च और सार्वजनिक शिक्षा के बीच का अंतर खत्म हो जाता है जो जन विश्वास का गंभीर रूप से उल्लंघन है। हालांकि बहुत से लोगों ने स्कूल के पहल का स्वागत किया.. वहीं स्कूल का कहना था कि छात्रों के उग्र व्यवहार और बदमाशी पर लगाम लगाने के लिए उन्होंने ये कक्षा शुरू की है.. स्कूल प्रशासन ने कोर्ट में कहा कि स्कूल में बच्चों को जो योग की शिक्षा दी जाती है उनसे सभी धार्मिक तत्व हटा लिए गए हैं. यहां तक कि नमस्ते, आसन और पद्मासन जैसे शब्दों के लिए अंग्रेजी शब्द दिए गए हैं।
वास्तव में
न्यायमूर्ति जॉन मेयर ने मामले
की सुनवाई के शुरुआती दिनों
में ही कहा था कि उन्होंने खुद
बिक्रम योग की कक्षाएं ली थी
और उनका अनुभव है कि यहां के
स्कूलों में जो योग की कक्षाएं
होती हैं वो शारीरिक अभ्यास
की दूसरी कक्षाओं जैसी ही हैं।
उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी
जताई है कि कुछ अभियोजकों ने
योग के बारे में उन्हें सही
जानकारी नहीं दी और इसके लिए
उन्हें इंटरनेट जैसे अन्य
स्रोतों से जानकारी जुटानी
पड़ी।
न्यायमूर्ति जॉन
मेयर के फैसले से योग प्रेमियों
में खुशी की लहर दौड़ गई है।
स्वागत योग्य खबर!!
जवाब देंहटाएंकोई तो भारतीय शिक्षा का कद्रदान है,हमारी सरकार न सही,अगर रामदेव सरकार के खिलाफ न बोलते तो शायद यहाँ भी कुछ सुनवाई हो जाती.
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