*देवकुमार पुखराज*
कहावत
है- चौबे
जी गये छब्बे बनने,
दूबे
बनकर आए। कर्नाटक के बेल्लारी
वाले चर्चित रेड्डी बंधुओं
के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है।
विधायक सोमाशेखर रेड्डी ने
न्यायाधीशों को रिश्वत देकर
अपने बड़े भाई गालि जनार्दन
रेड्डी का बेल ले लिया। उन्हें
तब शायद इसका अंदेशा भी नहीं
रहा होगा कि इस खेल में उनको
खुद भी जेल जाना पड़ सकता है।
लेकिन कहते हर अपराधी कुछ न
कुछ सुराग छोड़ देता है,
कैश
फॉर बेल मामले की जांच कर रही
आंध्रप्रदेश की एंटी करप्शन
ब्यूरो यानी एसीबी को भी इस
मामले में अहम सुराग हाथ लग
गये और आज बेल्लारी शहरी क्षेत्र
के भाजपा विधायक बेल के इस खेल
में 6
अगस्त
से हैदराबाद की चंचलगुड़ा
जेल में हैं।
विधायक
गालि सोमाशेखऱ रेड्डी कैश
फॉर बेल मामले में गिरफ्तार
होने वाले 11वें
व्यक्ति हैं। इसके पहले कर्नाटक
में काम्पली के भाजपा विधायक
टी.एच.
सुरेश
बाबू,
सीबीआई
के स्पेशल जज टी.पट्टाभि
रामाराव,
उनके
पुत्र टी.
रविचन्द्रा,
आंध्रप्रदेश
के दो निलंबित जज डी.प्रभाकर
राव और के.लक्ष्मीनारायण
राव,
रिटायर
जिला जज टी वी चलपति राव,
हिस्ट्री
शीटर
पी.
यादगिरी
राव,
जुनियर
वकील टी.आदित्या,
हैदराबाद
के रियल इस्टेट कारोबारी रवि
सूर्यप्रकाश बाबू और रेड्डी
बंधुओं के एक रिश्तेदार जी.
दशरथरामी
रेड्डी न्यायिक हिरासत में
हैं। एसीबी की ताजा तफ्तीश
में बेल्लारी ग्रामीण क्षेत्र
से विधायक और रेड्डी बंधुओं
के निकट सहयोगी बी.
रामुलू
का भी नाम सामने आ रहा है।
रामुलू को भी पूछताछ के लिए
ब्यूरो ने नोटिस भेज दिया है।
साथ ही बैंगलोर की जेल में बंद
गालि जनार्दन रेड्डी को प्रिजनर
ट्रांजिट रिमांड पर हैदराबाद
लाने और उनके खिलाफ भी चार्जशीट
फाइल करने की तैयारी चल रही
है। विधायक सोमाशेखर रेड्डी
की गिरफ्तारी के बाद एसीबी
के महानिदेशक बी.
प्रसाद
राव ने कहा कि उनकी टीम कैश
फॉर बेल केस के निष्कर्ष तक
पहुंचने के करीब है। राव का
कहना है कि इस पूरे प्रकरण में
सोमाशेखर रेड्डी ने ही प्रमुख
भूमिका निभाई। पैसे का इंतजाम
करने से लेकर जज पट्टाभि रामाराव
को मैनेज करने का सारा काम
सोमाशेखर रेड्डी की पहल और
देखरेख में हुआ।
दरअसल
कैश फॉर बेल का ये मामला इसलिये
भी महत्वपूर्ण है कि इस योजना
में राजनेता और न्यायपालिका
से जुड़े लोग ही नहीं बल्कि
हिस्ट्रीशीटर से लेकर रियल
इस्टेट से जुड़े लोगों ने
भागीदारी निभाई। आंध्रप्रदेश
के प्रकाशम का रहने वाला
हिस्ट्रीशीटर यादगिरी राव
ने एसीबी को पूछताछ में पूरी
योजना का खुलासा किया। उसने
बताया कि कैसे रेड्डी बंधुओं
के रिश्तेदारों ने उससे संपर्क
किया फिर उसने एक वकील और रिटायर
जज के जरिये सीबीआई के विशेष
न्यायाधीश को बेल देने के लिए
राजी किया। कबूलनामे में
यादगिरी राव ने बताया कि कर्नाटक
के पूर्व पर्यटन मंत्री और
खनन कारोबारी जी.जनार्दन
रेड्डी को जमानत दिलाने का
पूरा सौदा 20
करोड़
रुपये में पक्का हुआ था,
उसे
साढ़े नौ करोड़ रुपये मिले
थे। एक अभियुक्त दशरथ राम
रेड्डी ने एसीबी को स्वीकारोक्ति
बयान में बताया कि जनार्दन
रेड्डी हर हाल में जमानत चाहते
थे और इसके लिए कितनी भी बड़ी
राशि चुकाने को तैयार थे। उसने
बताया कि स्मॉल कॉजेज कोर्ट
के न्यायाधीश के .लक्ष्मी
नारायण राव को एक बार सौ करोड़
रुपये में सौदा तय करने के लिए
तैयार किया गया था,
लेकिन
राव के लाख कहने पर भी सीबीआई
के तत्कालिन विशेष न्यायाधीश
बी. नागा
मूर्ति सरमा तैयार नहीं हुए
और उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा
दिया। कहते हैं कि जब बात नहीं
बनी तो फिर जज लक्ष्मी नारायण
राव ने सरमा की जगह पर आए जज
टी.
पट्टाभि
रामाराव को इस बड़े डील के
बारे में बताया और जमानत देने
पर राजी कर लिया। एसीबी की
पूछताछ में खुद लक्ष्मी नारायण
राव ने ये स्वीकारा कि जमानत
देने के लिए उसे 100
करोड़
रुपये देने की पेशकश की गयी
थी।
योजना
के मुताबिक सीबीआई के विशेष
न्यायाधीश टी.
पट्टाभि
रामाराव को उनके पुत्र टी.
रवि
चन्द्रा के जरिये दो किस्तों
में दस करोड़ रुपये बतौर रिश्वत
दी गयी। वायदे के मुताबिक 11
मई
को गालि जनार्दन रेड्डी को
जमानत मिल गयी। लेकिन एक अन्य
मामले में रिमांड पर होने के
चलते वे जेल से बाहर नहीं आ
सके। वैसे सीबीआई को बेल के
लिए डील होने की भनक पहले ही
लग चुकी थी। ऐसे में सीबीआई
ने रिटायर जिला एवं सत्र
न्यायाधीश टी.
वी.
चलपति
राव,
जज
लक्ष्मी नारायण राव और पट्टाभि
रामाराव की फोन बातचीत पर नजर
रखनी शुरू कर दी।जैसे ही बेल
हुआ सीबीआई ने मामले को जांच
के लिए
भ्रष्टाचार
निरोधी ब्यूरो यानि एसीबी को
सौंप दिया। मामला उजागर होते
ही आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट ने
गालि जनार्दन रेड्डी की जमानत
निरस्त कर दी सीबीआई कोर्ट
के न्यायाधीश पट्टाभि रामाराव
को 31 मई
को निलंबित कर दिया। फिर 19
जून
को वे हैदराबाद के बंजारा
हिल्स स्थित आवास से गिरफ्तार
कर लिये गये। रामाराव के पुत्र
टी.
रविचन्द्रा
के पांच बैंक लॉकरों से 1.60
करोड़
नगद जब्त की गयी। डील में अहम
भूमिका निभाने वाले रिटायर
जज टी वी चलपाति राव को भी
न्यायिक हिरासत में भेज दिया
गया। इनके पुत्र और भाई के
बैंक लॉकर से एसीबी ने 1.14
करोड़
कैश बरामद किया। अबतक 6.50
करोड़
रुपये बरामद किये जा चुके हैं।
एसीबी
सूत्रों की मानें तो कैश फॉर
बेल के इस मामले में एक पत्रकार
रामचन्द्र रेड्डी और रियल
इस्टेट कारोबारी रवि सूर्यप्रकाश
ने भी अहम रोल अदा किया। रामचन्द्र
रेड्डी पिछले कुछ समय से
पत्रकारिता छोड़कर जी.
जनार्दन
रेड्डी के सहायक के तौर पर काम
कर रहा था। एसीबी के मुताबिक
यादगिरी राव को 10
करोड़
रुपये मिले थे,
जिसमें
तीन करोड़ उसने जज पट्टाभि
रामाराव को दिये और बाकी खुद
रख लिया। लेकिन इतने पैसे कहां
से आए। इस सवाल का उत्तर खोजने
में एसीबी जुटी है। आरंभिक
जांच में पता चला है कि बैंगलोर
और बेल्लारी से हवाला के जरिये
ये पैसे हैदराबाद पहुंचे थे।
गालि जनार्दन रेड्डी के छोटे
भाई और विधायक सोमाशेखर रेड्डी
ने अपने पारिवारिक मित्र और
विधायक बी.रामुलू
के साथ मिलकर पैसे का इंतजाम
कराया। इस केस में गिरफ्तार
हुए काम्पली विधायक टी.एच.
सुरेश
बाबू ने भी अपने चाचा और विधायक
बी.
रामुलू
को ही किंगपिन बताया है। अब
एसीबी बी,
रामुलू
को भी नोटिस भेजकर बुलाने की
कोशिश में है। देर-सबेर
उन्हें भी एसीबी गिरफ्तार कर
ले तो कोई आश्चर्य नहीं है।
दरअसल
इस पूरे प्रकरण में एक बात और
साफ हो गयी कि आज के समय में
पैसे के बल पर न्यायिक प्रक्रिया
को अपने हिसाब से मोड़ा जा
सकता है। दूसरी बात ये कि
न्यायपालिका में जस्टिस सरमा
जैसे लोग भी हैं,
जो
करोड़ो रुपये का ऑफर ठुकरा
सकते हैं।
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कौन
हैं ये रेड्डी बंधु-
कर्नाटक
के बेल्लारी से ताल्लुक रखने
वाले और रेड्डी बंधु के नाम
से चर्चित गालि जनार्दन रेड्डी
तीन भाई हैं। लौह अयस्क खनन
के क्षेत्र में एक दशक से सक्रिय
जनार्दन रेड्डी के बड़े भाई
जी.
करुणाकर
रेड्डी भी येदियुरप्पा सरकार
में राजस्व मंत्री रहे हैं।
एक समय था जब गालि जनार्दन
रेड्डी कर्नाटक के पर्यटन
मंत्री थे तो गालि करुणाकर
रेड्डी उसी बीएस येदियुरप्पा
मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री
की जिम्मेदारी निभाते थे।
संप्रति जेल की हवा खा रहे
छोटे भाई गालि सोमाशेखर रेड्डी
भी विधायक हैं। हाल तक बेल्लारी
के इलाके और कुछ मामले में
पूरे कर्नाटक में इनका दबदबा
था। कुछ लोग रेड्डी बंधुओ को
खनन माफिया तो कई उन्हें बेताज
बादशाह कहते हैं।लोकसभा
प्रतिप्ष की नेता सुषमा स्वराज
से रेड्डी बंधुओं की निकटता
जगजाहिर रही है। लेकिन लोकयुक्त
जस्टिस संतोष हेगड़े ने जबसे
अवैध उत्खनन मामले में इनको
आरोपित किया तबसे ही रेड्डी
बंधुओं के सितारे गर्दिश में
चले गये हैं। पहले मंत्री पद
की कुर्सी गयी और ओबुलापुरम
माइनिंग कंपनी (ओबीसी)
के
कारोबार पर रोक लग गयी। आज की
तारिख में दो भाई जेल की हवा
खा रहे हैं। एक समय था जब सोने
की कुर्सियों पर बैठकर गालि
जनार्दन रेड्डी बेल्लारी में
दरबार लगाते थे। दोपहर का खाना
खाने के लिए हेलिकॉप्टर से
जाते थे। विश्व प्रसिद्ध
तिरुपति बालाजी को 45
करोड़
का हीरे जड़ित मुकुट चढ़ाकर
देश भर में चर्चा बटोरी थी।
लेकिन समय चक्र घूमा तो पार्टी
ने भी साथ छोड़ दिया। ये कहावत
सटीक बैठती है-
न
माया मिली न राम ।
(साभार-
प्रथम
प्रवक्ता)
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