हिंदी शोध संसार

शनिवार, 7 जुलाई 2012

संस्कृत भाषा एवं भारत में वैज्ञानिक विकास

  यह लेख सुप्रीमकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति और भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काट्जू के उस अभिभाषण का अनुवाद है, जो उन्होंने 27 नवंबर 2011को काशी हिंदी विश्वविद्यालय, वाराणसी में दिया था। 

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भारत मुख्यरूप से आप्रवासियों यानी परदेशियों का देश रहा है। उत्तरी अमेरिका, अमेरिका और कनाडा नए परदेशियों का देश है, जो पिछले चार से पांच सालों में मुख्य रूप से यूरोप से आए। जबकि भारत पुरातन आप्रवासियों का देश है, जहां पिछले दस हजार सालों में लोग आए। शायद भारत में रह रहे पचानवे फीसदी लोग आप्रवासियों की संतान हैं जो मुख्यरूप से उत्तर पश्चिम और कुछ उत्तरपूर्व से आए। ये तथ्य अपने देश को जानने की दृष्टि से ज्यादा महत्वपूर्ण है, इसलिए कुछ विस्तार में जाना समीचीन होगा।विशेष जानकारी के लिए केजीएफइंडिया डॉट ओआरजी पर, कालीदास गालिब एकेडमी फॉर म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग पढें।

 

लोग दुर्गम इलाकों से आराम के लिए सुगम इलाकों में जाते हैं। यह स्वाभाविक है क्योंकि हर कोई आराम से जीना चाहता है। आधुनिक उद्योगों के शुरू होने से पहले, हर जगह कृषि आधारित व्यवस्था हुआ करती थीं। भारत इसके लिए स्वर्ग की तरह था, क्योंकि कृषि के लिए समतल जमीन, ऊपजाऊ मिट्टी, सिंचाई के लिए पानी की प्रचूरता, सामान्य मौसम की जरूरत होती है, जो भारत में पर्याप्त मात्रा में मौजूद थी। जब यहां ये सब चीजें मौजूद थी तो भारत के लोग भला दूसरे देशों में क्यों जाते। अफगानिस्तान में जीवन कठिन है, वहां की जमीनें पहाड़ी व पथरीली हैं, ज्यादातर हिस्सा साल के ज्यादातर समय तक बर्फ से ढका रहता है। ऐसे में वहां फसल नहीं उगाए जा सकते हैं। इसलिए, तमाम आप्रवासी और आक्रमणकारी भारत के बाहर से आए, इनमें अपवाद वो भारतीय हैं, जो अंग्रेजी शासन के दौरान अनुंबधित होकर विदेश भेजे गए या वैसे भारतीय जो काम के नए अवसरों की तलाश में भारत के विकसित देशों में गए। इतिहास में भारत द्वारा दूसरे देशों पर आक्रमण का शायद एक भी उदाहरण हमारे पास मौजूद नहीं है।
इस तरह भारत कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का वास्तविक स्वर्ग था। क्योंकि यहां की जमीनें समतल और ऊपजाऊ थी। यह सैकड़ों नदियों और जंगलों की जमीन रही हैं, जो प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। इसलिए हजारों सालों से दुनियाभर के लोग भारत में आकर बसते रहे हैं क्योंकि उन्होंने यहां प्रकृति के दिए गए उपहारों के बीच अपने जीवन को आरामदेह पाया।
उर्दू के महान शायर फिराक गोरखपुरी लिखते हैं--
सर जमीन--हिंद पर आवाम--आलम के फिराक़ क़ाफ़िले गुजरते गए हिंदुस्तान बनता गया”
यानी, हिंदुस्तान की सरजमीं पर दुनियाभर के लोगों का कारवां आता रहा और भारत का निर्माण होता रहा।
तब सवाल उठता है कि भारत के मूल निवासी कौन हैं? एक समय ऐसा माना जाता था कि द्रविड़ यहां के मूल निवासी थे।

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