प्रजा का पैसा खा गया, राजा कितना ढीठ।
निगल गया है सांच को, नहीं दिखाए पीठ।।
बहुत बढ़िया संयोग है, पीएम मिले हैं क्लीन।
जनता की लुट गई लुटिया, अपने में हैं लीन।।
शुक्रवार, 19 नवंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें
                                      (
                                      Atom
                                      )
                                    
 
 
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें