हिंदी शोध संसार

बुधवार, 24 नवंबर 2010

उम्मीदों का सवेरा सामने है स्वागत करिए

महज संयोग नहीं कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाला एनडीए गठबंधन एकबार फिर से तीन चौथाई बहुमत के साथ बिहार के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. पंक्ति दिनकर जी की है, लेकिन मुझे ठीक से याद नहीं है, लेकिन वो पंक्ति कुछ इस प्रकार से है- वो प्रकाश जो झिलमिल दिखता, साहिल दूर नहीं है, थककर बैठ गए क्यों भाई
मंजिल दूर नहीं है. सवेरा होने को है, नया विहान अपना दस्तक देने को है. आप स्वागत करिए.
बिहार की जनता ने कह दिया कि हम पूरे तन मन से तैयार हैं. बिहार की वो जनता जिसे कभी महाराष्ट्र ने मारा, तो कभी असम ने खदेड़ा. किसी से कोई शिकायत नहीं की. बिहार की जनता जानती है तो वो क्या कर सकती है और क्या नहीं. वो हर वो काम कर सकती है, जिसे दुनिया का कोई व्यक्ति नहीं करना चाहेगा या नहीं कर सकता है. इसके बावजूद बाहर वाले इन्हें अपने संसाधनों पर बोझ समझते थे. गालियां देते थे, मारते थे.
हर बार गालियां सुनते, मार खाते इन्हें लगता था कि जो काम हम बिहार से बाहर कर सकते हैं वो बिहार में रहकर क्यों नहीं कर सकते हैं. कर सकते हैं, मगर किसी ने मौका नहीं दिया. किसी ने हिम्मत नहीं दी कि तुम बिहार को नई दिल्ली बना सकते हो, बिहार को मुंबई जैसा चमका सकते हो. कभी जयप्रकाश ने हुंकार भरी, बिहार की जनता ने दुदुंभी बजा दी. आज वो बिहारी ये क्यों नहीं कर सकता है. कर सकता है, मगर कोई हिम्मत देने वाला नहीं है. कोई कहने वाला नहीं है कि बिहार को मुंबई बनाया जा सकता है. इसी बीच बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार नामक नक्षत्र का जन्म होता है. वो कहता है, वो हिम्मत देता है कि तुम वो कर सकते हो, बिहार में सैन फ्रांसिसको जैसी सड़के बन सकती. बिहार की लड़कियों में वो सपना भरने में कामयाब हो जाता है कि तुम भी कल्पना चावला बन सकती हो, बिहार सुंदर बन सकता है, चमक सकता है, बिहार की महिलाएं दुनिया को दिशा दिखा सकती है.
नीतीश की बातें बिहार की जनता ने समझ ली और उसने उसे अपना रहनुमा चुन लिया. कह दिया नीतीश, तुम बनाओ, जयप्रकाश और लोहिया के सपनों का बिहार. नीतीश,तुम बिहार को उसका सुनहरा अतीत वापस दिलाओ.
वो लोग कैनवास से गायब हो गए, जो ख्बाव देखते थे कि बिहार को जाति-धर्म में बांटकर वो सदियों-सदियों तक शासन करेंगे. विश्वास नहीं हो रहा तो बिहार का विधानसभा चुनाव परिणाम देखिए.
बिहार की जनता की नई जिम्मेदारी के साथ नीतीश को बिहार की तरक्की के लिए अब दिनरात एक करने का वक्त है. दिन पर जिम्मेदारी होगी कि वो दूसरे-तीसरे साल के अंत तक बिहार के हरेक घर को कम से कम सोलह घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करें. कम से कम एक सौ मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थापना बिहार में करवाएं. उद्योग-धंधे लगवाएं. हां सहायक काम भी करते रहें.
जागेगा, बिहार.. जागेगा, आप नई उम्मीदों के साथ इसका स्वागत तो करिए.

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