बात कितनी भी बड़ी हो, जुबां से छोटी है
काम कितना भी बड़ा हो, इंसां से छोटा है
फख्र करेगा जमाना जुबां को चुप रखो
हाथ से काम, जुबां से खुदा का नाम लो
बड़ी उमर कभी भी बड़ी नहीं होती
वक्त के रहते एक ताजमहल बना डालो
नसों का खून होता है बहने के खातिर
मरते इसान को अपने खून से जिला डालो
तुम्हारा हक महज जमीन तक नहीं सिमटा
मौका है आसमानों में भी घर बना डालो
जमीं की कोख से हक ही नहीं हुआ पैदा
इसी पे फर्ज की बुनियाद हमने रखी है
जय हिंदी जय भारत
बड़ी उमर कभी भी बड़ी नहीं होती
जवाब देंहटाएंवक्त के रहते एक ताजमहल बना डालो
बेहतरीन!
अच्छी उपदेशात्मक बातें लिखी हैं, कोशिश की जायेगी कि इन पर चला जा सके.
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