हिंदी शोध संसार

शनिवार, 9 जनवरी 2010

गलतफहमी दूर कर लीजिए कि हम अब भी इंसान हैं?

हम इंसान हैं? हम सभ्य हैं? या हमारे सभ्य होने की हमें सिर्फ गलत फहमी रह गई है. इस गलतफहमी को अभी दूर कर देते हैं.

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घटना तमिलनाडु के तिरूनेलवली की है, जहां एक पुलिस सब इंस्पेक्टर गलतफहमी का शिकार हो गया. लोगों ने उसपर बम फेंका. जब यह इंपेक्टर घायल हो गया तो लोगों ने मद्रासी हॉसिये (इससे नारियल आदि काटा जाता है) से सिर, गर्दन पर वार अनगिनत वार किए. पैर को काट कर अलग कर डाला( चित्र में कटा पैर अलग दिख रहा है, जंघे की हड्डी बाहर निकल आई है). इंस्पेक्टर हाथ फैलाकर मदद की गुहार लगाता रहा. मगर कोई हाथ मदद के लिए नहीं उठा. उसी जगह से तमिलनाडु के दो मंत्रियों का काफिला भी गुजरा. ये मंत्री हैं पन्नीर सेल्वम और युवा एवं खेल विकास मंत्री टीपीएम महीद्दीनखान. इन दोनों का बड़ा काफिला वहां से गुजरा. काफिला रूका भी, लेकिन किसी ने मदद का हाथ नहीं बढ़ाया.

जब तक एंबुलेंस आता तब तक सब इंस्पक्टर वेत्रीवेल ने इस क्रूर, नृशंस और असभ्य दुनिया को अलविदा कह दिया.हुंचाने के लिए हमने पुलिस वाहन का प्रबंध किया। यह जांबाज अफसर उस विशेष कार्यबल का सदस्य था, जिसने 2004 में कुख्यात वीरप्पन को मार गिराया था.

2 टिप्‍पणियां :

  1. हम इतने क्रूर कैसे बन जाते हैं .. समझ में नहीं आता !!

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  2. ये तो दिल दहलाने के साथ साथ खून खौलाने वाला दृश्य है.
    विभत्सता का चरम है...

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