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शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

कार्य से पहले कार्य का अभीष्ट फल जानिए, शंका दूर करिए- श्रीरामश्लाका प्रश्नावली से

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हीं

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रा


रे



श्री रामश्लाका प्रश्नावली वर्ण महिमा का अद्वितीय उदाहरण है. गोस्वामी तुलसीदास का सानिध्य पाकर इन शब्दों की गरिमा और भी बढ़ गई है. इसकी महिमा स्वयंसिद्ध है.  आप किसी कार्य के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं उसके परिणाम को लेकर मन में उधेरबुन है तो इस रामश्लाका प्रश्नावली से इस उधेरबुन को दूर सकते हैं. इस प्रश्नावली के किसी एक बक्से के अक्षर या अक्षरों या मात्रा(बक्से में जो कुछ हो) को पुस्तिका पर लिख लें. फिर जैसे मैंने चुना, फ(दूसरी पंक्ति में रेखांकित) अब इस फ को छोड़कर, उसके नवें अक्षर या अक्षरों या मात्रा का चुनिये. जैसे मेरे चुने हुए ये अक्षर ल आया. फिर ल को छोड़कर, उसका नौवा अक्षर. इसी तरह आगे तब तक बढ़ें जब सबसे पहले चुने अक्षर पर न पहुंच जाएं.  चुने हुए अक्षरों या मात्रा को लिखते जाए. इससे एक चौपाई बनती है. बस यही चौपाई आपके प्रश्न का उत्तर है.
जैसे मेरे चुने हुए फ से जो चौपाइ बनी-
सु फ ल म नो र थ हो हुं तु म्हा रे  रा मु ल ख नु सु नि भ ए सु खा रे
इस प्रश्नश्लाका से कुल नौ चौपाइयां बनती हैं जो इस प्रकार फलाफल देती हैं-
1. सुनु सिए सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।।
फल- ये प्रसंग श्री सीताजी के गौरी पूजन के दौरान आया है और गौरी जी ने सीता माता को आशार्वाद दिया है कि तुम्हारा मनोरथ पूरा होगा. यानी प्रश्नकर्ता का प्रश्न उत्तम है और अभीष्टकार्य सिद्ध होगा.
2. प्रबिसि नगर कीजे से काजा। हृदय राखि कौसलपुर राजा।।
फल- प्रसंग हनुमान जी के लंका में प्रवेश के समय आया है. प्रश्नकर्ता भगवान का नाम लेकर कार्य शुरू करे, कार्य सिद्ध होगा.
3. उघरहिं अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू।।
फल- प्रसंग बालकांड के सत्संग वर्णन प्रसंग में है. प्रश्नकर्ता जाने कि इस कार्य में भलाई नहीं है और कार्य की सफलता में संदेह है.
4. बिधि बस सुजन कुसंग परहीं। फनि मनि सम निज सुन अनुसरहीं.
फल- प्रसंग बालकांड में है. प्रश्नकर्ता से आग्रह है कि वे खोटे मनुष्य का साथ छोड़ दे और कार्य पूरा होने में संदेह है.
5. मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथराजू।।
फल- प्रश्न उत्तम है और कार्य सिद्ध होगा.
6. गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
फल- प्रश्न श्रेष्ठ है और कार्य सिद्ध होगा.
7. बरुन कुबेर सुरेश समीरा। रन सन्मुख धरि काहुं न धीरा।।
फल- कार्य पूर्ण होने में संदेह है
8. सुफल मनोरथ होहुं तुम्हारे। रामु लखनु सुनि भए सुखारे।।
फल- प्रश्न उत्तम है. कार्य सिद्ध होगा.
9. होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ाबै साखा.
फल- कार्य होने में संदेह है, इसे भगवान पर छोड़ देना अच्छा है.

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