न्यूज चैनलों पर चल रहे है इंदिरा स्मरण एपिसोड को देखकर आसानी से समझता जा सकता है कि कुछ लोग इस देश को कैसे चला रहा है.
प्रेमचंद ने ठीक ही कहा था कि गवर्नमेंट कुछ पढ़े लिखे लोगों(निहायत ही चालाक) द्वारा गरीबों को दबाने के लिए बनाया गया संगठन है.
टेलीविजन चैनलों पर चला रहे इंदिरा एपिसोड का अर्थ ये बिल्कुल नहीं लगाया जाना चाहिए कि अचानक टेलीविजन चैनलों को इंदिरा प्रेम उत्पन्न हो गया है या वे इंदिरा गांधी के कथित योगदान को याद कर रहे हैं. दरअसल ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. बल्कि टेलीविजन चैनलों को उनकी हैसियत के हिसाब से पैसे दिए गए, उसी के अनुसार उसे वीडियो फुटेज मुहैया कराए गए और कांग्रेसी भक्तों द्वारा प्रत्येक एपीसोड की पटकथा तैयार की गई-
चैनलों पर चल रहे कुछ कार्यक्रमों की बानगी-
इंदिरा बिन इंडिया-
कतरा-कतरा हिंदुस्तान.. आदि
इंदिरा स्मरण एपिसोड में जनता के टैक्स के पैसे पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. चैनलों को लाखों-करोड़ों रुपये दिए जा रहे हैं. चुनाव प्रसार के तर्ज पर.
ये सब ऐसे समय में हो रहा है, जबकि पूरे देश के लोग उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा उत्तरप्रदेश में बनाए जा रहे स्मारकों पर सवालिया निशान खड़े रहे हैं. मायावती पर जनता के पैसे के दुरुपयोग का आरोप लग रहा है. आखिर, कोई केंद्र सरकार से पूरे कि इंदिरा संस्मरण एपिसोड पर खर्च किए जा रहे ये पैसे क्या जनता के नहीं हैं और क्या इनका सदुपयोग हो रहा है.
जनता को इमोशनली(भावनात्मक रूप से) ब्लैकमेल करने का हथकंडा अगर कांग्रेस अपना सकती है तो मायावती क्यों नहीं. आखिर इंदिरा गांधी ने सत्तर के दशक में देश के गरीबी हटा दी थी. फिर आज राहुल बाबा क्यों चिल्ला रहे हैं कि ये गरीबों का देश है. आखिर क्यों(राहुल के ही शब्दों में) सरकारी पैसा जनता तक नहीं पहुंचती है. आखिर किसने भ्रष्टाचार को बढ़ाया. आखिर किसने भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दिया. राहुल बाबा ने आखिर क्वात्रोकी ड्रामें में वे विद्रूप क्यों बने रहे.
शनिवार, 31 अक्तूबर 2009
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आपने बिलकुल ठीक पकडा है........यह इंदिरा प्रेम नहीं है वरना बीते कई बरसों से राजीव-इंदिरा की जन्म और पुण्य तिथि बड़े आराम से गुजर रही थी. आज अगर मीडिया को अचानक इनकी याद हो आई है तो यह सत्ताधारी दल द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम ही है. यह जनता को जताने की कोशिश है कि इस खानदान ने किस तरह देश में रामराज्य ला दिया है ( अब आपको पता न चल पा रहा हो तो यह आपके सांप्रदायिक होने की निशानी है). इस तरह के हथकंडे अक्सर कम्यूनिस्ट देशों में अपनाए जाते रहे हैं जैसे पूर्व सोविएत संघ, चीन, उत्तर कोरिया आदि. परन्तु ऐसे हथकंडे एक परिवार की जागीर वाले देशों और तानाशाही शासन वाले देशों में भी अपनाया जाते है जैसे कि अरब देशों और सद्दाम शासित इराक में. परन्तु असल विषय है कि यह सब जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे से हो रहा है याने कि हमारे लिए बेडियाँ भी हमसे ही गढ़वायी जा रही हैं.
जवाब देंहटाएंचेनलों का इंदिरा प्रेम समझा जा सकता है,पर उन सिखों का क्या जो इस दिन को कभी नहीं भूलते....!उनकी लोबिंग कौन करेगा?????
जवाब देंहटाएंआप की बात बिल्कुल सही है इस तरह जनता का पैसा ही बर्बाद होता है....मायावती के किए गए खर्चो से यह खर्चा शायद कई गुना ज्यादा ही होता होगा।
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