हिंदी शोध संसार

शनिवार, 10 अक्तूबर 2009

ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा हुई है. पारंपरिक रूप से अल्फ्रेड नोबेल के मृत्यु दिवस यानी दस दिसंबर को उन्हें यह सम्मान दिया जाएगा. नोबेल दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार है. ओबामा को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा के साथ ही बहस शुरू हो गई है कि आखिर नोबेल शांति पुरस्कार ओबामा को ही क्यों दिया गया. आखिर ओबामा ने ऐसा कौन सा उल्लेखनीय कार्य किया है जिसके लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है.
तर्क विदों का कहना है कि वे आतंकवादी देश अमेरिका के ऐसे राष्ट्रपति हैं जो शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की बात करते हैं. अमेरिका इसलिए आतंकवादी देश कहा जाता है क्योंकि वहां कुछ महीनों पहले तक बुश जैसा सनकी राष्ट्रपति था, जिसने दुनिया में उथल-पुथल मचा दिया. विश्व जनमत की अनदेखी कर, अपनी खुफिया एजेंसियों के हाथों झूठी रिपोर्ट तैयार कराकर, इराक में सामूहिक नरसंहार के झूठे हथियारों का दुनिया को भय दिखाकर उसने इराक पर हमला कर दिया. ईरान पर हमले की तैयारी कर चुका था. एक ऐसा सनकी जिसने दुनिया को वैश्विक आर्थिक संकट के दलदल में धकेल दिया.
ऐसे देश में एक संत का पैदा होना नोबेल समिति के लिए भी अचरज के कम नहीं है. ओबामा जो शुरू से लेकर अंत तक मुस्लिम देशों को बार-बार आश्वत करने की कोशिश करते है. वचन से ही नहीं, मन और कर्म से भी, वह आश्वत करते हैं कि अमेरिका सबके साथ मिलजुल कर रहना चाहता है. विश्व की समस्याओं को हल करने में वह सबकी मदद चाहता है
वह स्वीकार करता है कि अति लालच की वजह से अमेरिका ने दुनिया को मंदी की दलदल में धकेला. वह वित्तीय संस्थाओं के अधिकारियों को लालच कम करने और बोनस नहीं लेने की बात करता है
दुनिया के सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति अगर सीधे मुस्लिम जगत को संबोधित करते हुए ये कहता है कि वो उसे अपना दुश्मन नहीं समझें, हम आपसी हित और एक-दूसरे का आदर करते हुए आगे बढ़ेंगे. पिछले दिनों हमने कुछ गलितयां की थी. जिसे हम सुधारने की कोशिश करेंगे
राष्ट्रपति पद का शपथग्रहण करते हुए उन्होंने जो बात कही, मुस्लिम जगत को जो भरोसा दिलाया वो आज भी उसी राह पर कायम हैं. उस बात पर अडिग हैं
कुल मिलाकर, एक बेहतर दुनिया के निर्माण में बराक ओबामा की लघुकालिक भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
जय हिंदी जय भारत


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