एनआईसी भारत सरकार को संजाल पर उपस्थिति दर्ज कराने का दावा करता है. लेकिन एनआईसी को शायद इस बात का पता नहीं है कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा(सैद्धांतिक रुप में ही सही) है. अगर वह जानता है तो वह अपनी तकनीक में काफी पीछे है.
दरअसल, इसमें एनआईसी का भी ज्यादा दोष नहीं है और वह तो सरकार की नीतियों के अनुसार ही काम करती है. सरकारें नहीं चाहती है कि हिंदी सशक्त बने. कुछ महीने पहले, गृहमंत्रालय ने कहा था कि जो कंपनियां आंशिक रूप से भी हिंदी में काम करती हैं, वहां हिंदी अनिवार्य कर दिया जाएगा. सबको पता है कि छोटी बड़ी तमाम कंपनियां अपने उत्पादों को बेचने के लिए किसी न किसी रूप में हिंदी का प्रयोग करती हैं. अगर, इन कंपनियों में हिंदी लागू कर दिया जाए तो हिंदी की स्थिति सुधर सकती थी. लेकिन कुछ ही दिनों बाद ये रिपोर्ट को दबा दी गई. शिवराज पाटील चले गए, चिदंबरम आए. चिदंबरम को तो दो शब्द भी हिंदी नहीं आती. वो ठहरे अर्थशास्त्री. वो अर्थशास्र अंग्रेजी में पढ़े हैं, हिंदी को वो क्यों समझने लगे.
सत्यजीत जी
जवाब देंहटाएंआपके लेख को पढ़कर बहुत अच्छा लगा , वास्तव में इन सभी जाल पृष्ठों अधिकारिक सूचनाओं इत्यादियों का हमारे देश में जिसकी रास्त्रभाषा हिन्दी हो अंग्रेजी में होना मस्तक शर्म से झुक जाता है, अभी भी वक़्त है की सरकार को तथा देशवासियों को जागरूक होना होगा की हिन्दी को किताबो की ही भाषा न बनाकर सही मायने में इसे राजभाषा की तरह कडाई से लागू करवाना होगा इसे आम लोगों की भाषा बनाना होगा अन्यथा बहुत देर हो जायेगी और हमारी आने वाली पीढी शायद अंग्रेजी को ही अपनी राष्ट्रभाषा न समझने लगे.
सत्य नारायण प्रसाद,
संबलपुर, ओडिशा
सत्यजीत जी
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सत्य नारायण प्रसाद,
संबलपुर, ओडिशा
सत्यजीत जी
जवाब देंहटाएंआपके लेख को पढ़कर बहुत अच्छा लगा , वास्तव में इन सभी जाल पृष्ठों अधिकारिक सूचनाओं इत्यादियों का हमारे देश में जिसकी रास्त्रभाषा हिन्दी हो अंग्रेजी में होना मस्तक शर्म से झुक जाता है, अभी भी वक़्त है की सरकार को तथा देशवासियों को जागरूक होना होगा की हिन्दी को किताबो की ही भाषा न बनाकर सही मायने में इसे राजभाषा की तरह कडाई से लागू करवाना होगा इसे आम लोगों की भाषा बनाना होगा अन्यथा बहुत देर हो जायेगी और हमारी आने वाली पीढी शायद अंग्रेजी को ही अपनी राष्ट्रभाषा न समझने लगे.
सत्य नारायण प्रसाद,
संबलपुर, ओडिशा
सत्यजीत जी
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सत्य नारायण प्रसाद,
संबलपुर, ओडिशा
lion_goswami@aol.in
जहाँ तक मुझे पता है हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा नही है| हिन्दी का दर्जा वही है जो बाकी भाषाओं का है| संविधान में हिन्दी को भारत की ओफिसिअल भाषा बनाने पर कुछ भी नही है| अगर मैं ग़लत हूँ तो भूल सुधारें|
जवाब देंहटाएंहिन्दी बस मात्र भाषा है.
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