हिंदी शोध संसार

गुरुवार, 28 अगस्त 2008

श्रीप्रकाश को ज्ञान की प्राप्ति

श्रीप्रकाश को ज्ञान की प्राप्ति

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को अद्भुत ज्ञान की प्राप्ति हो गई है. इसके लिए उन्हें बुद्ध भगवान की तरह न तो गृह त्याग करना पड़ा, न ही पीपल वृक्ष के नीचे घनघोर तपस्या करनी पड़ी.

लेकिन ज्ञान प्राप्ति के तुरंत बाद उन्हें खीर मिली वह बेहद तीखी थी.

एक अद्भुत ज्ञान जोसारे सेक्यूलरों को वैतरणी पार कराने और आरएसएस और बजरंग दल पर अंगुलियां उठाने और उस पर प्रतिबंध लगवाने में मदद करेगा. लेकिन प्रथमे ग्रासे मच्छिका पात: उनका ज्ञान उन्हीं के लिए भारी पड़ गया.

श्रीप्रकाश को ज्ञान की खोज में क्यों निकलना पड़ा(राजकुमार सिद्धार्थ ने एक बूढ़ा, एक बीमार और एक शवयात्रा को देखा. उनके बालमन में ये बात आई आखिर आदमी बीमार क्यों पड़ता है, बूढ़ा क्यों होता है, आखिर आदमी मरता क्यों है. यानी आदमी दुखी है तो क्यों है, उसके दुख का कारण क्या है, उस दुख का निवारण क्या है. सिद्धार्थ ने दुख के कारण और निवारण की खोज में घर छोड़ दिया, बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे तपस्या की, उन्हें ज्ञान की प्राप्त हुई. इसी तर्ज पर श्रीप्रकाश के ज्ञान प्राप्ति की भी अपनी पृष्ठभूमि है. )

कुछ रोज पहले कानपुर के एक हॉस्टल में विस्फोट हुआ. उस विस्फोट में राजीव मिश्र और रोहित सिंह नामक दो युवक मारे गए. बाद में पुलिस ने घटनास्थल की छानबीन की, वहां से ग्यारह ग्रेनेड, सात टाइमर डिवाइस और कुछ अन्य विस्फोट बरामद हुए.

जैसा कि महापुरूषों के मामले में होता है(पेड़ से सेब गिरने से न्यूटन परेशान हो गए, आखिर यह सेब ऊपर क्यों नहीं चला गया और उन्होंने गुरूत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की, आर्किमीडिज पानी में तैरने गया, उसे लगा कि पानी में उसे कोई अंदर से उसे ऊपर धकेल रहा है, वह पागलो की तरह यूरेका, यूरेका चिल्लाने लगा और उन्होंने उत्पलावकता के सिद्धांत की खोज कर दी.) कानपुर हॉस्टल में विस्फोट के बाद श्रीप्रकाश जायसवाल के दिमाग में भी कुछ इसी तरह की उथल-पुथल मचल गई. एकाएक उन्हें लगा कि देश में सांप्रदायिक सदभाव बिगाड़ने के लिए बजरंग दल जैसे हिंदूवादी संगठन साजिश रच रहे थे. फिर क्या उन्होंने सीबीआई जांच सिद्धांत की खोज कर डाली.

(यहां श्रीप्रकाश की नीयत पर सवाल उठाना गैर-मुनासिब है, न्यूटन से पहले भी पेड़ से फल क्या, लाखों करोड़ों सेब ही गिरे होंगे, दूसरे लोगों के सामने क्या खुद न्यूटन(जिस दिन उनके दिमाग में यह बात कौंधी उससे पहले) के आगे-पीछे, दांये-बांये सैंकड़ों फल गिरे होंगे, आर्किमिडीज से पहले भी लाखों-करोड़ों लोगों को पानी में से कोई ताकत उन्हें ऊपर की ओर धकेला होगा, यूरेका-यूरेका चिल्लाने से पहले कई बार खुद आर्किमिडीज को भी पानी में ऊपर की ओर धकेला गया होगा, किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया तो क्या लोग उनकी नीयत पर सवाल उठाते है. श्रीप्रकाश जायसवाल के मामले में भी यहीं हुआ होगा, बड़े पद पर हैं तो क्या हुआ, देश के गृह राज्यमंत्री हैं तो क्या हुआ, हर बार सीबीआई जांच सिद्धांत की खोज तो नहीं की जा सकती है न, देश में आतंकवादी हमले होते रहे हैं, इससे क्या मतलब की कांग्रेस के शासनकाल में ज्यादा हमले हुए और किसी आंतकवादी को मार गिराना तो दूर, उसे पकड़ा भी नहीं गया.)

यहां तलक सब ठीक है आगे रस्ता है अंजान,

उत्तरप्रदेश प्रदेश की मुख्यमंत्री बहन मायावती ने उनके सिद्धांत पर सवाल खड़े कर दिए. उनका कहना था कि कांग्रेस, भाजपा को बचाना चाहती है, इसलिए मामले की सीबीआई जांच की बात कर रही है, उसे ये भी मालूम है कि मामले की जांच उत्तरप्रदेश पुलिस करेगी तो दूध का दूध और पानी का पानी निकलकर सामने आ जाएगा(आरूषि मामले में उत्तरप्रदेश पुलिस ने जो वीरता और बहादूरी का परिचय दिया, बहन मायावती उसके कायल हैं)

कुल मिलाकर मायावती ने श्रीप्रकाश जायसवाल के सीबीआई जांच सिद्धांत पर सवाल खड़े कर दिए(श्रीप्रकाश जी की वर्षों की मेहनत पर पानी फिर गया(एक सेब को जमीन पर गिरने के लिए पता नहीं न्यूटन को कितने सालों तक हर रोज बगीचे की सैर करनी होती होगी. इसी तरह पानी के अंदर से कोई धकेलता है, यह जानने के लिए पता नहीं, आर्किमिडीज को कितने सालों तक पानी में डूबकिया लगानी पड़ी होगी, इतनी कड़ी मेहनत के बाद यदि कोई व्यक्ति न्यूटन और आर्किमिडीज के सिद्धांत की धज्जियां उड़ा तो पता नहीं उसे कितना दुख होता, शायद वह आगे के शोध पर स्व-प्रतिबंध लगा ले, मगर श्रीप्रकाश जी का सेक्यूलर धर्म उन्हें इतनी शक्ति देता है कि वह सिद्धांत पर सिद्धांत प्रतिपादित करते रहेंगे)). वैसे श्रीप्रकाश जी के कई सिद्धांत गृहमंत्रालय से लेकर सेल्यूलर मीडिया के चरण चुंबन करते रहते हैं(मसलन, मैंने राज्यों को पहले ही खुफिया रिपोर्ट दे दी कि इस देश में कहीं भी और कभी भी आतंकवादी हमला हो सकता है, किसी समुदाय को आतंकवादी कहने वाला सबसे बड़ा आतंकवादी है, पोटा की मांग करने वाले सभी आरएसएस होते हैं और इन्हें आतंकवादी हमलों पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं होना चाहिए, क्योंकि पोटा के रहते हुए संसद भवन, अक्षरधाम मंदिर पर आतंकवादी हमले हुए हो, इससे क्या कि इनमें सभी आतंकवादी मौके पर ही मारे गए.)

श्रीप्रकाश जायसवाल को कितना दुख हुआ होगा कहने की जरूरत नहीं है, उनकी वर्षों की मेहनत पर पानी फिर गया. उनके मनसूबों में पलीता लग गया. मगर योद्धा नहीं विचलित होते हैं कि तर्ज वे आगे भी अपना काम जारी रखेंगे, ऐसी आशा की जानी चाहिए(बल्ब का फिलामेंट खोजने में थोमस अल्वा एडीसन को हजारों धातु और उसके मिश्रण पर प्रयोग करना पड़ा था)

बहन मायावती ने कह दिया कि वह अकेले इस मामले की जांच की सिफारिश नहीं करेंगी, वह रामपुर के सीआरपीएफ कैंप पर आतंकी हमले सहित प्रदेश में हुए सभी बम विस्फोटों की सीबीआई जांच की सिफारिश करती हैं और सभी मामलों की सीबीआई जांच होनी चाहिए.

मायावती ने श्रीप्रकाश पर आरोप लगा दिया कि वो भाजपा की मदद के लिए मामले की सीबीआई से जांच करने की मांग कर रहे हैं(जबकि ऐसा उन्होंने कुछ सेक्यूलरवादी और कुछ मुस्लिम संगठनों के कहने पर किया) वहीं, कई लोग मायावती पर आरोप लगा रहे हैं कि मायावती का भाजपा से कोई सांठ-गांठ है. कुछ भी हो श्रीप्रकाश जी को महान ज्ञान की प्राप्ति हुई, जिसका उपयोग दूसरे करें या न करें सेक्यूलरवादियों के लिए मुस्लिम वोट बैंक पुख्ता करने का काम करेगा और छद्म-धर्मनिरपेक्ष ताकतों को युगों-युगों तक प्रेरणा देता रहेगा(जैसा कि सीपीएम राजीव गांधी के उस बयान से प्रेरणा लेती है जिसमें उन्होंने साफ साफ कहा था कि मुसलमानों के लिए विशेष प्रावधान होना होना चाहिए क्योंकि(प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन के अर्थशास्र के अनुसार, देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है.))

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