हिंदी शोध संसार

मंगलवार, 22 जुलाई 2008

शर्मशार लोकतंत्र

इसे भारतीय के इतिहास का सबसे काला दिन कह लीजिए या लोकतंत्र की मंदिर के साथ मजाक. भारतीय संसद के इतिहास ऐसा पहली बार हुआ है जब संसद में सांसदों ने नोटों की गड्डी फैलाकर भ्रष्टाचार को उजागर किया हो. सोमवार को प्रधानमंत्री ने लोकसभा में सरकार का विश्वास प्रस्ताव पेश किया. प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी. पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. आम जिंदगी में भ्रष्टाचार को स्वीकार कर चुकी आम जनता को नेताओं की कीचड़बाजी पर जरा भी अचंभा नहीं हुआ.
मंगलवार को चर्चा के बाद प्रधानमंत्री सदस्यों के बहस का जवाब देते और उसके बाद विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना था, इससे ठीक पहले भाजपा के सांसदों ने थैली से नोटों की गड्डियां निकालकर हवा में लहराते हुए कहा, आप लोगों को सबूत चाहिए तो ये है सबूत.
भाजपा का आरोप है कि उसके तीन सांसदों को सदन में गैर-हाजिर रहने के लिए तीन-तीन करोड़ रुपये की पेशकश की गई. एक करोड़ रुपये एडवांस में दिए गए बाकी काम हो जाने पर. ये तीनों भाजपा के सांसद हैं, मध्यप्रदेश से छगन सिंह और अशोक अर्गल और राजस्थान से महावीर भगोरा.
न्यूज चैनल आईबीएन-7 के एक पत्रकार ने खरीद-फरोख्त के इस खेल को कैमरे में कैद कर दिया और देशहित और सच्चाई का साथ देते हुए उसे सदन को सौंप दिया.
अब देखना है कि सदन की गरिमा को बचाने के लिए सदन क्या करता है.
कोई शक नहीं था कि ट्वेंटी-ट्वेंटी के इस मैच में खिलाड़ी अपनी देश के लिए नहीं बल्कि ज्यादा पैसा देने वाले के लिए खेलता है, लेकिन इस सौदेबाजी का घिनौना चेहरा इस रूप में सामने आएगा, शायद ही किसी ने सोचा होगा.

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