हिंदी शोध संसार

सोमवार, 30 जून 2008

आखिर महंगाई है क्या चीज?






अवमूल्यन, मुद्रास्फीति और महंगाई तीनों एक ही चीज है.

महंगाई दर क्या है, यह छोटा सवाल अत्यंत पेचीदा है और इसका जवाबउतना ही जटिल . अगर महंगाई दर आकलन की बात करें, तो मामलाऔर भी पेचीदा हो जाता है .

प्रस्तुत आलेख में इसी पेंच को सुलझाने की कोशिश करेंगे.

मुद्रास्फीति या महंगाई की दर, थोक या खुदरा मूल्य सूचकांक में आए प्रतिशत बदलाव को कहते हैं.

भारत में महंगाई दर को मापने के लिए थोक मूल्य सूचकांक का इस्तेमाल किया जाता है.

अब सवाल उठता है कि ये थोक मूल्य सूचकांक क्या है.

किसी निश्चित समय अवधि में, किसी निश्चित वस्तु के मूल्य में आए प्रतिशत बदलाव और आधार वर्ष केलिए निर्धारित सूचकांक के योग को कहते है .

एक निश्चित अवधि में थोक मूल्य सूचकांक में आए प्रतिशत बदलाव को मुद्रास्फीति कहते हैं.

अब नया सवाल खड़ा होता है कि आधार वर्ष क्या है.

महंगाई मापने के लिए एक निश्चित वित्तीय वर्ष को आधार वर्ष मानाजाता है .

भारत में 1993-94 को आधार वर्ष माना गया है.

इस आधार वर्ष के लिए सभी 435 वस्तुओं का थोक मूल्य सूचकांक 100 माना गया है.

भारत में थोक मूल्य सूचकांक में 435 वस्तुओं को शामिल किया गया है, इनमें खाद्यान्न, ईंधन, धातु, रसायन आदि उन सभी चीजों को शामिल किया जाता है जिससे अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है.

थोक मूल्य सूचकांक की गणना--

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मान लीजिए, वर्ष1994 के मुकाबले 2008 में चावल के थोक मूल्य सूचकांक की गणना करनी है तो पहलेमालूम करना होगा कि 1994 में चावल का थोक मूल्य क्या था और 2008 में चावल का थोक मूल्य क्या है.

मान लीजिए, 1994 में चावल का थोक मूल्य 12 रुपये प्रतिकिलो था और 2008 में यह 22 रुपये प्रतिकिलोहै तो चावल के मूल्य में अंतर 10 रुपये का है.

यही अंतर अगर प्रतिशत में निकालें तो,


प्रतिशत अंतर=22-12/12*100=83 प्रतिशत

(चिह्न विश्लेषण, - का मतलब घटाव, / का मतलब बटे, * का मतलब गुणा)

अब, 1993-94 आधार वर्ष के लिए, सभी 435 वस्तुओं का थोक मूल्य सूचकांक 100 निर्धारित है, इसलिएप्रतिशत अंतर में 100 जोड़ दें, तो योग 183 आता है.

यही है 2008 में चावल का थोक मूल्य सूचकांक.

यानि 1994 में 100 रुपये में जितना गेहूं खरीद सकते थे, उतना ही गेंहू 2008 में खरीदने के लिए 183 रुपयेखर्च करने होंगे .


अब आइये गणना करते हैं महंगाई दर की.

महंगाई दर की गणना--

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जैसा कि हम जानते हैं अपने देश में हर सप्ताह महंगाई दर की गणना की जाती है. तो इस सप्ताह किसीखास वस्तु , मान लीजिए, गेहूं, की महंगाई दर मापने के लिए दो चीज जानना होगा, इस सप्ताह गेहूं काथोक मूल्य सूचकांक और पिछले सप्ताह गेंहूं का थोक मूल्य सूचकांक .

ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों में मुद्रास्फीति का आकलन खुदरा मूल्य सूचकांक के आधार पर होता है, जबकि भारत में थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर.

मानिए, इस सप्ताह गेहूं का थोक मूल्य सूचकांक 160 है और पिछले सप्ताहगेहूं का थोक मूल्य सूचकांक 120 था, तो दोनों का अंतर 40 हुआ.

यही अंतर अगर प्रतिशत में निकालें तो यह इस सप्ताह गेहूं की महंगाईदर कहलाएगी .

महंगाई दर= 160-120/120*100=33.3 प्रतिशत हुई.

इसी तरह सभी वस्तुओं की महंगाई दर मालूम की जाती है और फिरसबको जोड़कर औसत महंगाई दर मालूम की जाती है .

ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में खुदरा मूल्य सूचकांक के आधार पर महंगाई मापी जाती है तो भारत मेंथोक मूल्य सूचकांक के आधार पर . कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि थोक मूल्य सूचकांक के आधार परमहंगाई की गणना करना गलत है . क्योंकि यह उपभोक्ता पर लागू हो रहे सही महंगाई दर को नहीं दर्शाताहै .

प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है.

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