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सोमवार, 28 जनवरी 2008

बर्ड-फ्लू का कहर

बर्ड-फ्लू का कहर
पश्चिम में बर्ड-फ्लू कहर बनकर टूटा है. एक के बाद एक करके उन्नीस में से तेरह जिले इसकी चपेट में आ गए हैं. अब तक लाखों पक्षियों को मारा जा चुका है और लाखों को मारने की तैयारी चल रही है. इससे पहले भी महाराष्ट्र और मणिपुर में बर्ड-फ्लू फैला था. लेकिन इस बात मामला ज्यादा गंभीर है. इसकी गंभीरता को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने पहले ही चेतावनी दे रखी है. इसके बावजूद इससे निपटने में लापरवाही बरतने का आरोप लग रहा है. बीरभूम जिले के लोगों का कहना है कि सरकार इस बीमारी के बारे में उन्हें सही जानकारी मुहैया नहीं करा रही है, इसलिए वे मरे हुए पक्षियों को नदी-तलाबों में फेंक रहे हैं. वहीं कुछ लोग मुआवजे को लेकर अब पक्षियों को मारने के लिए अधिकारियों को सौंपने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं. सरकार अब तक यही कह रही है कि अब तक किसी मानव में इसके संक्रमण के मामले सामने नहीं आए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि अगर ऐसे मामले सामने आते हैं तो उसके पास भारी मात्रा में दवाएं है, जिससे वह किसी भी स्थिति से आसानी से निपट लेगा. ऐसा नहीं कि सरकार स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रही है और इससे निपटने की कोशिश नहीं कर रही. इतना सब कुछ होने के बावजूद राज्य के उन्नीस में से तेरह जिले इसकी चपेट में आ गए है. बात साफ है कि प्रयास जिस स्तर पर होना चाहिए उस स्तर पर नहीं हो रहा है.
खबरें ऐसी भी मिल रही है, मुर्गियों को मारने के लिए ऐसे लोगों को भेजा जा रहा है जो इस कार्य के लिए पूरी तरह अयोग्य हैं. ये कोई राजनीतिक मामला नहीं है, ये संक्रामक बीमारी है जो फैलती है और तेजी से फैलती है. साथ ही, आम के साथ साथ खास लोगों को भी प्रभावित कर सकती है.

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