हिंदी शोध संसार

शुक्रवार, 16 नवंबर 2007

ये ना भूलो कि नंदीग्राम तुम्हारा है

बदनसीब, गम के मारे ये तुम्हारे हैं।
खून से लथपथ, कफ़न में लिपटे सब तुम्हारे हैं।

किया कबूल जो भी दिया तुमने
जिन्दगी हो या मौत सब तुम्हारे हैं

ये ना सोचा था कि सियासत के पंजे खूनी होन्गे
बिछाए जाल और डाले दाने तुम्हारे होन्गे।

हमें गुमान था की हैं हम अलग सबसे
मेरे खून बहाने वाले लोग तुम्हारे होन्गे

चुप करके मुझे, ये न तुम भूलो
ये नंदीग्राम, ये लोग तुम्हारे हैं।

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