हिंदी शोध संसार

गुरुवार, 15 नवंबर 2007

वे कविताएँ

तितली की सुन्दरता पर एक ये कविता देखिए--
दूर देश से आयी तितली चंचल पंख हिलाती
फूल-फूल पर कलि-कलि पर इठलाती-इतराती
कितने सुन्दर हैं पर इसके जगमग रंग रंगीले
लाल हरे बैंगनी बसंती काले नीले पीले

बच्चों ने देखे पर इसके खुशियां खेल निराले
छोड़ छाड़ के खेल खिलौनी दौड़ पड़े मतवाले
अब पकड़ी तब पकड़ी तितली पास नहीं आती
और हवा में उड़ते-उड़ते दूर बहुत उड़ जाती
दूर देश में जहां बहुत तितली परियां रहती
छोटे बच्चों से अचरज भरी कहानी कहती.

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