हिंदी शोध संसार

गुरुवार, 25 अक्तूबर 2007

शान्तं शाश्वतं अप्रमेयम अनघम निर्वाण शान्तिप्रदम
ब्रह्मा शंभू फनीन्द्र सेव्य मनिषम वेदानतम वेद्यम विभूम

रामाख्यम जगदीश्वरम गुरुम माया मनुषयम हरि
वंदे अहम रघुवरं भोपाल चुड़ामनिम

हे राम आप शांत हैं शाश्वत हैं, निष्पाप हैं, निर्वाण स्वरुप हैं, शांति देने वाले हैं, ब्रह्मा और शिव जी द्वारा सेवित हैं, वेड और द्वारा जाने जाते हैं, राम के रूप में विख्यात जगत के गुरु मनुष्य के रूप में भगवान् को मैं प्रणाम करता हूँ।

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