दुनिया के सबसे ताकतवर और तकनीकी रूप से उन्नत देश अमेरिका के लिए वियतनाम युद्ध एक दु:स्वप्न की तरह है। वह किसी भी तरह वियतनाम के युद्ध में अपनी हार को अपने रिकॉर्ड से नहीं मिटा सकता है। उस युद्ध में अमेरिका की हार की मुख्य वजह कु-ची की वो सुरंगें थीं, जिन पर इतिहासकारों ने ज्यादा ज्यादा स्याही खर्च करने में कंजूरी बरती।
अमेरिका के बारे में अक्सर कहा जाता है कि वो एक युद्ध-पसंद मुल्क है और हर सच्चा अमेरिकी युद्ध का दंश झेलना पसंद करता है। हो सकता है कि ये अमेरिकी सत्ता का साम्राज्यवादी दुष्प्रचार हो जो जिसे अमेरिकी नागरिकों को युद्ध की विभीषिका झेलने के लिए तैयार करने के लिए प्रचारित किया जाता हो, मगर इतिहास पर नजर डाले तो ये कथन सच्चाई के बिल्कुल करीब नजर आता है। अमेरिका ज्यादातर समय तक किसी न किसी प्रकार के युद्ध में उलझा रहा है। अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली मुल्क है
और तकनीकी रूप से वह सबसे उन्नत भी। यही वजह है कि ज्यादातर युद्धों में उसे जीत हासिल हुई। मगर वियतनाम का युद्ध उसके रिकॉर्ड में पराजय की ऐसी गाथा लिख गया। जिसे वो किसी भी तरह नहीं मिटा सकता है। इतिहासकारों ने इस युद्ध में अमेरिकी पराजय की गाथा लिखने में खूब स्याही खर्च की, मगर इस युद्ध में वियतनाम की जीत की गाथा लिखने, वियतनाम की युद्ध तैयारी,, उसका युद्ध कौशल और रणनीति पर इतिहासकारों ने ज्यादा लिखना शायद उचित नहीं समझा। वियतनाम की जीत की कहानियां कहती आज भी कुछ यादें ज्यों की त्यों सुरक्षित हैं।
अमेरिका के खिलाफ यु्द्ध की तैयारी करते वक्त वियत कांग गुरिल्लाओं ने एक ही बात सोच रखी थी कि कठिनाई और परेशानियां सिर्फ बहानेबाजी हैं, जिन्हें इतिहास कभी स्वीकार नहीं करता।युद्ध के तत्पर सैनिकों ने अपने साथियों से कहा कि इस वक्त बहा एक-एक बूँद पसीना उसके नागरिकों का एक-एक गैलन खून बहने से रोकेगाऔर कांग गुरिल्लाओं ने सुरंगे तैयार कीं, जिसकी गुत्थी अमेरिकी सेना बीस सालों में नहीं सुलझा सकीं। वियतनाम के कु ची जिले में स्थित ये सुरंगें अब भी वियतनाम की जीत की अमरगाथा कहने में सक्षम है, जिसे कलम अपनी जुबां से कभी व्यक्त न कर सकें। वियत कांग गुरिल्लाओं ने इन सुरंगों का इस्तेमाल छिपने के ठिकानों, संचार तंत्र स्थापित करने, रसद और हथियारों की आपूर्ति, हथियारों को इकट्ठा करने और छापामार युद्ध के लिए किया। अपने विजय पर गर्व करती इन सुरंगों के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि युद्ध के दौरान अमेरिकी आक्रमण के खिलाफ बुद्धिमान और बहादूर वियतनामियों ने कू ची की ये सुरंगें तैयार कीं। ये वियतनाम की क्रांतिकारी सुरंगें हैं और अमेरिका के खिलाफ युद्ध के दौरान वियतनाम के इतिहास के प्रतीक हैं।
वास्तव में संस्कृति कोई आदर्श स्थिति नहीं होती है बल्कि ये एक खतरनाक समुद्री यात्रा की तरह होती है. वियत कांग गुरिल्ला इस बात को अच्छी तरह जानते थे। इसलिए युद्ध के लिए उन्होंने ऐसी सुरंगे तैयार कीं, जो सिर्फ और सिर्फ उनके लिए थीं। अगर आप वियतनामियों की तरह दुबले-पदले नहीं हैं तो आप इन सुरंगों में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। वियत गुरिल्लाओं ने अपने कद-काठी का फायदा उठाते हुए ऐसी सुरंगें तैयार की.. और इनकी बदौलत उन्होंने अच्छे डील-डौल वाले अमेरिका सैनिकों से बखूबी मुकाबला किया। चूँकि ये युद्ध उन्नीस सालों से भी ज्यादा समय तक चला, इसलिए सुरंगों के अंदर परेशानियां स्वाभाविक थीं, इन दुर्गम सुरंगों में वियत कांग गुरिल्लाओं का जीवन बहुत ही मुश्किलों भरा था। खाना, पानी और हवा की भारी कमी थीं, सुरंगों में जहरीले सांपों, बिच्छुओं, चीटियों,, मकड़ों का बसेरा हो गया था. सुरंग के अंदर रहने वाले लोग आसानी से मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों के शिकार हो गए। इनके बावजूद इन्हीं सुरंगों ने वियतनाम को अमेरिका जैसे शक्तिशाली और तकनीक संपन्न देश के खिलाफ जीत दिलवाई और अब ये विदेशी पर्यटकों,, खासकर अमेरिकी पर्यटकों के लिए पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभरी हैं।
इन सुरंगों के भीतर विस्फोटक छिपाकर रख दिए जाते थे, वो गुप्त विस्फोटक अमेरिका सैनिकों के लिए बेहद घातक साबित हुए। अमेरिकी सेना भी इन सुरंगों के बारे में जानती थीं, लेकिन लाख प्रयासों के बावजूद वो इन सुरंग तंत्र को भेदने में नाकाम रहे। अपनी विशाल सैन्य शक्ति और उन्नत तकनीक का अमेरिका ने बखूबी इस्तेमाली किया, मगर वो इन सुरंगों में छिपे वियत कांग गुरिल्लाओं के रण कौशल, युद्ध नीति और तैयारी का पार पाने में बौने साबित हुए। पूरे युद्ध के दौरान कूची की वो सुरंगें अमेरिकी सेना की हताशा, निराशा और कुंठा की वजह बनी रहींष वियत कांग गुरिल्ला इन सुरंगों में अपनी स्थिति बदलते रहे और अमेरिकी सैनिकों को जबर्दस्त चुनौती देते रहे। वियतनाम की लड़ाई में अमेरिकी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा और लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार 1972 में उन्हें युद्ध मैदान छोड़ना पड़ा।
वियतनाम एक छोटा सा देश जिसने अमेरिका जैसे बड़े व बलशाली देश को झुका दिया।
जवाब देंहटाएंलगभग बीस वर्षों तक चले युद्ध में अमेरिका पराजित हुआ।
अमेरिका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्रध्यक्ष से पत्रकार ने एक सवाल पूछा।
जाहिर सी बात है कि सवाल यही होगा आप युद्ध कैसे जीते या अमेरिका को कैसे झुका दिया। पर उस प्रश्न का दिया उत्तर सुनकर आप हैरान रह जायेंगे व आपका सीना भी गर्व से भर जायेगा। दिया गया उत्तर पढ़िये। सभी देशों में सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को हराने के लिए मैंने एक महान राजा का चरित्र पढ़ा। और उस जीवनी से मिली प्रेरणा व युद्धनीती का प्रयोग कर सरलता से विजय प्राप्त की। आगे पत्रकार ने पूछा कौन थे वो महान राजा?
मित्रों जब मैंने पढ़ा तब जैसे मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया आपका का भी सीना गर्व से भर जायेगा।
वियतनाम के राष्ट्रध्यक्ष ने खड़े होकर जवाब दिया "छत्रपति शिवाजी महाराज"
महाराजा छत्रपति शिवाजी का नाम लेते समय उनकी आँखों में एक वीरता भरी चमक थी। आगे उन्होंने कहा अगर ऐसे राजा ने हमारे देश में जन्म लिया होता तो हमने सारे विश्व पर राज किया होता। कुछ वर्षों के बाद राष्ट्रध्यक्ष की मृत्यु हुई उसने अपनी समाधि पर लिखवाया "शिवाजी महाराज के एक शिष्य की समाधि"।
कालांतर में वियतनाम के विदेशमंत्री भारत के दौरे पर थे। पूर्व नियोजित कार्यक्रमानुसार उन्हें पहले लालकिला व बाद में गांधीजी की समाधि दिखलाई गई। ये सब दिखलाते हुए उन्होंने पूछा कि महाराजा शिवाजी की समाधि कहाँ है? तब भारत सरकार चकित रह गयी व रायगढ़ का उल्लेख किया। विदेशमंत्री रायगढ़ आये व राजा शिवाजी की समाधि के दर्शन किये। समाधि के दर्शन लेने के बाद समाधी के पास की मिट्टी उठाई व अपने बैग में भर ली इस पर पत्रकार ने मिट्टी रखने का कारण पूछा।
मंत्री महोदय ने कहा ये मिट्टी शूरवीरों की है। इस मिट्टी में एक महान् राजा ने जन्म लिया ये मिट्टी मैं अपने देश की मिट्टी में मिला दूंगा ताकि मेरे देश में भी ऐसे ही वीर पैदा हों।
मेरा यह राजा केवल भारत का गर्व न होकर सम्पूर्ण जग का गर्व होना चाहिए।
अपेक्षा है कि यह पोस्ट आप बड़े अभिमान के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
।।छत्रपति शिवाजी महाराज की जय।।
वियतनाम एक छोटा सा देश जिसने अमेरिका जैसे बड़े व बलशाली देश को झुका दिया।
जवाब देंहटाएंलगभग बीस वर्षों तक चले युद्ध में अमेरिका पराजित हुआ।
अमेरिका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्रध्यक्ष से पत्रकार ने एक सवाल पूछा।
जाहिर सी बात है कि सवाल यही होगा आप युद्ध कैसे जीते या अमेरिका को कैसे झुका दिया। पर उस प्रश्न का दिया उत्तर सुनकर आप हैरान रह जायेंगे व आपका सीना भी गर्व से भर जायेगा। दिया गया उत्तर पढ़िये। सभी देशों में सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को हराने के लिए मैंने एक महान राजा का चरित्र पढ़ा। और उस जीवनी से मिली प्रेरणा व युद्धनीती का प्रयोग कर सरलता से विजय प्राप्त की। आगे पत्रकार ने पूछा कौन थे वो महान राजा?
मित्रों जब मैंने पढ़ा तब जैसे मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया आपका का भी सीना गर्व से भर जायेगा।
वियतनाम के राष्ट्रध्यक्ष ने खड़े होकर जवाब दिया "छत्रपति शिवाजी महाराज"
महाराजा छत्रपति शिवाजी का नाम लेते समय उनकी आँखों में एक वीरता भरी चमक थी। आगे उन्होंने कहा अगर ऐसे राजा ने हमारे देश में जन्म लिया होता तो हमने सारे विश्व पर राज किया होता। कुछ वर्षों के बाद राष्ट्रध्यक्ष की मृत्यु हुई उसने अपनी समाधि पर लिखवाया "शिवाजी महाराज के एक शिष्य की समाधि"।
कालांतर में वियतनाम के विदेशमंत्री भारत के दौरे पर थे। पूर्व नियोजित कार्यक्रमानुसार उन्हें पहले लालकिला व बाद में गांधीजी की समाधि दिखलाई गई। ये सब दिखलाते हुए उन्होंने पूछा कि महाराजा शिवाजी की समाधि कहाँ है? तब भारत सरकार चकित रह गयी व रायगढ़ का उल्लेख किया। विदेशमंत्री रायगढ़ आये व राजा शिवाजी की समाधि के दर्शन किये। समाधि के दर्शन लेने के बाद समाधी के पास की मिट्टी उठाई व अपने बैग में भर ली इस पर पत्रकार ने मिट्टी रखने का कारण पूछा।
मंत्री महोदय ने कहा ये मिट्टी शूरवीरों की है। इस मिट्टी में एक महान् राजा ने जन्म लिया ये मिट्टी मैं अपने देश की मिट्टी में मिला दूंगा ताकि मेरे देश में भी ऐसे ही वीर पैदा हों।
मेरा यह राजा केवल भारत का गर्व न होकर सम्पूर्ण जग का गर्व होना चाहिए।
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।।छत्रपति शिवाजी महाराज की जय।।