हिंदी शोध संसार

मंगलवार, 26 जुलाई 2011

ए राजा, बड़े नमक हराम हो जी तुम


ए राजा, ए क्या कर रहे हो। अभी तो छह महीने भी नहीं हुए। अभी से डंक मारने लगे हो। वो उसी मधु-छत्ते को। जिसमें तुम कभी रहते थे। तुम्हें कितने प्यार से रखा जाता था। सब तुम्हारी खातिरदारी करते थे। जारी खुदाई एक तरफ, जनाब मनमोहन एक तरफ। सरकारी बनी। तुम्हारा विरोध हुआ। फिर भी मनमोहन तुम्हें अपने पाले में ही ले ही लिए। तुम्हें बचाने के लिए सेफरॉन-टेरर थ्योरी का इजाद हुआ। भले ही विफल हो गया। मगर हुआ ना। तुम्हारे लिए जीरो लॉस थ्योरी का इजाद हुआ। तुम नहीं बच सके। मगर इजाद तो हुआ न। जितना बन सका। सबने किया। तुम्हारे लिए एक महीने से ज्यादा संसद का काम कुर्बान किया। इससे ज्यादा हम क्या कर सकते हैं। बेटा बड़का कोरट को कौन समझा सकत है। तुम्ही बताओ। हम तोहार के बचावे खातिर कि-कि नैय करते हैं। मगर तु हौ कि समझवे नय करता है। ये यार अभी भी लगे हुए मगर, तुम क्या कर रहे हो। कभी प्रधानमंत्री के नाम ले रहे हो तो कभी वित्तमंत्री के औरो तो और कानून मंत्रालय को भी नय छोड़ रहे हो। यार। तुमको समझ में नय आता है कि इस प्रधानमंत्री पर आरोप लगाना सूरज पर थूकने जैसा है। ई हम नय कांग्रेस प्रवक्ता कह रहे है। अब समझो सूरज पर थुकोगे तो किस पर पड़ेगा। यार जितना बन सका किया। जितना हो सका तुमको लूटने दिया। कभी रोका। कभी कोई जीओएम बनाया। तुमने जैसा कहा वैसा होने दिया। कभी पब्लिक का, कोरट का, ख्याल किया। नय न। फिर क्यों सबको कोर्ट में घसीट रहे हो। अरे प्रधानमंत्री अकेला आदमी होता है तुम्हारे कौन-कोन से काम पर ध्यान रखेगा। कहा था जैसा लगे कर लो। और क्या चाहिए। मगर तुम सबको घिसियाय रहे हो। शरम नय आती है। बड़े नमक हराम होजी।

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें