नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा विकसित हिंदी विश्कोष
काफी पहले से इंटरनेट पर मौजूद है। लेकिन यूनिकोड फॉंट में नहीं होने के कारण हिंदी-प्रेमी इसे कंप्यूटर पर नहीं पढ़ पाते थे। अनुनाद सिंह जी इसे यूनिकोडित करने की बहुत कोशिश की। अब हिंदी विश्वकोष यूनिकोडित रूप में- इंटरनेट पर मौजूद है। कहने का का मतलब अब आप किसी कंप्यूटर पर इसे आसानी से पढ़ते थे। विश्वकोश का लाभ उठा सकते हैं। विश्वकोश को अंतर्जाल ठिकाने पर इसका परिचय कुछ इस तरह दिया गया है-- हिंदी भाषा और साहित्य तथा देवनागरी लिपि की उन्नति तथा प्रचार और प्रसार करनेवाली देश की अग्रणी संस्था है। इसकी स्थापना १६ जुलाई, १८९३ ई. को हुई थी। इसके प्रमुख संस्थापक थे स्व. श्यामसुंदरदास जी, स्व. रामनारायण जी मिश्र और ठाकुर शिवकुमारसिंह जी। अपनी स्थापना के अनंतर ही सभा ने बड़े ठोस और महत्वपूर्ण कार्य हाथ में लेना आरंभ कर दिया। अपने जीवन के विगत ७३ वर्षों में सभा ने जो कुछ कार्य किया है उसका संक्षिप्त विवरण निम्नांकित है : राजभाषा और राजलिपि की अनिवार्यता आर्यभाषा पुस्तकालय की स्थापना हस्तलिखित ग्रंथों की खोज उत्तमोत्तम ग्रंथों और पत्रपत्रिकाआें का प्रकाशन प्रकाशन के लिए मुद्रणालय की स्थापना ग्रंथकर्ताआें के लिए पुरस्कार पदक अन्यान्य प्रवृत्तियाँ - अपनी समानधर्मा संस्थाआें से संबंधस्थापन, अहिंदीभाषी छात्रों को हिंदी पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति देना, हिंदी की संकेतलिपि (शार्टहैंड) तथा टंकण (टाइप राइटिंग) की शिक्षा देना, लोकप्रिय विषयों पर समय-समय पर सुबोध व्याख्यानों का आयोजन करना, प्राचीन और सामयिक विद्वानों के तैलचित्र सभाभवन में स्थापित करना आदि सभा की अन्य प्रवृत्तियाँ हैं। सुप्रसिद्ध मासिक पत्रिका 'सरस्वती’ का श्रीगणेश और उसके संपादनादि की संपूर्ण व्यवस्था आरंभ में इस सभा ने ही की थी। अखिल भारतीय हिंदी साहित्य संमेलन का संगठन और सर्वप्रथम उसका आयोजन भी सभा ने ही किया था। |
इलेक्ट्रॉनिकी अनुसंधान एवं विकास केन्द्र की स्थापना इलेक्ट्रॉनिकी के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान तथा इलेक्ट्रॉनिकी उद्योग में प्रयोग होने वाले उपकरणों और सिस्टम के आधुनिकतम विकास के उद्देश्य से की गई है। |
ई आर एण्ड डी सी आई की तीन इकाइयां नोएडा, तिरूवनन्तपुरम तथा कलकत्ता में स्थित हैं। समीक्षाधीन |
वर्ष के दौरान निम्रलिखित क्षेत्रों को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में चुना गया है: |
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ई आर एण्ड डी सी आई, नोएडा इलेक्ट्रॉनिकी उद्योगों के विकास की गति को तेज करने के लिए |
बड़े पैमाने के अनुप्रयोगों के विशिष्ट क्षेत्रों में अनुसंसाधन एवं विकास कार्यक्रम आरम्भ करती है। |
यह इकाई अद्यतन तकनीकी जानकारी की उत्पादन योग्य, विपणन योग्य एवं क्षेत्र में अनुरक्षण योग्य |
उत्पादों और प्रणालियों का निर्माण कर रही है जिनकी प्रौद्योगिकी सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की विभिन्न |
एजेसियों को हस्तांरित की जा रही हैं। यह इकाई भारत सरकार द्वारा शुरू किए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी |
विकास के प्रयासों के अनुरूप अनुसंसाधन परामर्श समिति के दिशा निर्देश और पर्यवेक्षण में विभिन्न |
महत्वपूर्ण सक्षमता विकास परियोजनाएं समयबद्ध एवं मिशन उन्मुखी तरीके से शुरू करती है। |
प्राकृत भाषा संसाधन के क्षेत्र से संबद्ध सॉफ्टवेयर का विकास इस इकाई का मुख्य ध्येय है। |
प्राकृत भाषा संसाधन प्रयोगशाला कम्प्यूटर पर हिंदी के विकास एवं प्रचार के दिशा में उच्चस्तरीय |
úअनुसंधान कर रही है। |
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हिन्दी के अखिल भारतीय स्वरूप का निर्धारण करने तथा सम्पूर्ण राष्ट्र में इसके प्रचार-प्रसार के |
उद्देश्य से १९ मार्च, १९६० ई. को भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा एवं समाज मंत्रालय ने |
पंजीकृत स्वायत्त संस्था केन्दीय हिन्दी शिक्षण मण्डल का गठन किया। मण्डल के प्रमुख |
प्रकार्य निम्नलिखित निर्धारित किए गए- |
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भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण मण्डल को अखिल भारतीय हिन्दी महाविद्यालय के |
संचालन का दायित्व सौंपा गया। मण्डल ने इस महाविद्यालय का नाम १ जनवरी १९६३ |
को केन्द्रीय हिन्दी शिक्षक महाविद्यालय रखा तथा दिनांक २१ अक्टूबर १९६३ को सम्पन्न |
शासी परिषद की बैठक में इसका नाम केन्द्रीय हिन्दी संस्थान रखा गया। |
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संस्थान के मुख्यालय में उपर्युक्त प्रकार्यों को पुरा करने की दृष्टि से निम्नलिखित विभाग |
समाहित किये गए है: |
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सोमवार, 20 जून 2011
हिंदी विश्वकोश अब यूनिकोड हिंदी में हर कंप्यूटर पर मौजूद
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