हिंदी शोध संसार

रविवार, 21 फ़रवरी 2010

मैं यानी माइकल जैक्सन

 सारी दुनिया जानती है मुझे
माइकल जैक्सन के नाम से
पर मैं पूरी जिंदगी
अपना अस्तित्व खोजता रहा
मेरा जन्म तो हुआ
पर मैं उन बदनसीब बच्चों में था
जिनका कोई बचपन नहीं होता
नहीं सी जान पर
अनुशासन के नाम पर
तरह-तरह से जुल्म ढाए गए
शुक्रिया उन जुल्मों का
जिसने मेरे पैरों को साध दिया
साधना इतनी पक्की कि
मैं बन गया
दुनिया का सबसे बड़ा पॉप स्टार
अकूत दौलत और शोहरत के बीच
अपने बचपन को खोजता रहा
मैंने नेवरलैंड भी बसाया
पर मेरा आहत बचपन
कही हरवक्त मेरा पीछा करता रहा
उससे पीछा छुड़ाने की
मैंने लाख कोशिश की, लेकिन
आज तक सफल नहीं हो सका
बचपन को तलाशती रही मेरी जिंदगी
विवादों में फंस गई
मुझे पथभ्रष्ट और न जाने
क्या-क्या कहा गया
पर तुम क्या कहोगे
मुझे किस रूप में याद रखोगे
मैं जानता हूं कि ये दुनिया
मेरे बचपन की तरह ही आहत है
उसे चाहिए, स्नेह का मरहम
उसे चाहिए, शब्दों का स्पर्श
मैंने आहत दुनिया के घाव पर
मरहम लगाने की कोशिश की
इसमें कितना सफल रहा
इसका फैसला तो तुम्ही करोगे
मेरा काम यहीं खत्म नहीं होता है
मैं तुम्हारे बीच हमेशा मौजूद रहूंगा
तुम्हारे दुखते घाव पर
मरहम लगाने के लिए
डूबे रहोगे तुम
गहन अंधकार में
घिरे रहोगे तुम
गहरी निराशा में
तब सुनाई देंगे
मेरे पदचाप
थपथपाएंगे तुम्हें
मेरे शब्दों के स्नेहिल हाथ
घिरे रहोगे तुम
गहरी विपत्ति में
मंडराएंगे शंकाओं के बादल
तुम्हारी कुंठा में
तुम्हारे विक्षोभ में
मिल जाएगी
मेरे पैरों की थिरकन
तुम्हारे दर्द में
तुम्हारे गम में
तुम्हारी खुशी में
वादा है मेरा
मैं रहूंगा तुम्हारे साथ
तुम्हारे दिल में
हमेशा, हमेशा और हमेशा के लिए
सप्रेम तुम्हारा
माइकल जैक्सन

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