हिंदी शोध संसार

शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

क्यों मनाएं नया साल

आप सबको अंग्रेजी नया साल मंगलमय हो, लेकिन साल का जश्न मनाने से पहले कृपया ये सोच लें कि क्या आप जिसे नववर्ष कह रहे हैं वो सही मामले में आपके मन-मिजाज और प्रकृति के अनुकूल है।

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जहां दिन मध्यरात्रि में बदलता है यहां नए दिन का स्वागत उदित सूर्य करता है.

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जहां साल का स्वागत पतझड़ करता है यहां साल का स्वागत वसंत करता है

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जहां साल कहता है दारू पीकर सुअर बनो यहां साल जीवनोत्कर्ष का पाठ पढ़ाता है

कहते हैं कि जैसा खाये अन्न वैसा होये मन. नयासाल मनाएं जरूर, लेकिन सोच-समझकर.

2 टिप्‍पणियां :

  1. बढिया संदेश ..आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

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  2. सब सोच पर निर्भर है!!


    किस नजर से देखूँ, ए जिन्दगी तुझको..
    दोष तुम्हें दूँ या फिर मेरी नजर को...

    -सारा आलम ख़फा ख़फा सा लगता है!!


    -समीर लाल ’समीर’



    वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    - यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-

    नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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