हिंदी शोध संसार

शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

भूख का दर्द

भूख लेखकों, कवियों, कलाकारों का पसंदीदा विषय रहा है, लेकिन यह सबसे पसंदीदा विषय रहा है लेखकों का. नेता इसी शब्द की कलाबाजियां दिखाकर चुनाव जीतते हैं, मगर दुर्भाग्य है कि वहीं नेता इस भूख को मिटाने के बड़े-बड़े दावे भी करते हैं. नेताओं के इस दोमुंहेपन से भूख बहुत ही दुखी है, भूख के ही मुंह से ही सुनिए.. उसके दर्द की कहानी.

<span title=भूख" src="http://lh6.ggpht.com/_iaaC7RetQ6I/StmApdATNXI/AAAAAAAAAP4/EBMi4rTgBdQ/Image.jpg?imgmax=800" style="border-bottom: 0px; border-left: 0px; border-right: 0px; border-top: 0px; display: inline;" title="भूख" border="0" height="129" width="124"> <span title=भूख1" src="http://lh3.ggpht.com/_iaaC7RetQ6I/StmArOsp2zI/AAAAAAAAAQA/CsWLSNLWNMA/Image.jpg?imgmax=800" style="border-bottom: 0px; border-left: 0px; border-right: 0px; border-top: 0px; display: inline;" title="भूख1" border="0" height="131" width="88"> <span title=भूख2" src="http://lh5.ggpht.com/_iaaC7RetQ6I/StmAs0pUiLI/AAAAAAAAAQI/reB75VdcdrU/Image.jpg?imgmax=800" style="border-bottom: 0px; border-left: 0px; border-right: 0px; border-top: 0px; display: inline;" title="भूख2" border="0" height="131" width="122"> <span title=भूख3" src="http://lh6.ggpht.com/_iaaC7RetQ6I/StmAuQWjioI/AAAAAAAAAQQ/TMMcy1OO-08/Image.jpg?imgmax=800" style="border-bottom: 0px; border-left: 0px; border-right: 0px; border-top: 0px; display: inline;" title="भूख3" border="0" height="134" width="107"> <span title=भूख4" src="http://lh6.ggpht.com/_iaaC7RetQ6I/StmAv_XxNFI/AAAAAAAAAQY/xtEvWhLLrPk/Image.jpg?imgmax=800" style="border-bottom: 0px; border-left: 0px; border-right: 0px; border-top: 0px; display: inline;" title="भूख4" border="0" height="134" width="115">

मैं भूख हूं, शायद दुनिया का सबसे प्रभावशाली शब्द, शायद सबसे ताकतवर भाव. भूख इंसान को भीख मांगने के लिए मजबूर कर देता है. भीख मांगने वाले को लोग भिखारी कहते हैं, उससे घृणा करते हैं.. मगर एक कवि जब कहता है..


वह आता

दो टूक कलेजे को करता

पछताता पथ पर आता

पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक

चल रहा लकुटिया टेक

मुट्ठी भर दाने को

भूख मिटाने को

वह आता

दो टूक कलेजे को करता

पछताता पथ पर आता

भिखारी को भिक्षुक कहने वाला यह कवि महाकवि बन जाता है.

एक दूसरा कवि कहता है..

स्वानों को मिलते दूध-वस्त्र

व्याकुल बच्चे अकुलाते हैं

मां की हड्डी से चिपक ठिठुर

जाड़े की रात बिताते हैं


और यह कवि राष्ट्र कवि बन जाता है.

मैंने यानी भूख ने कितने ही कवियों, लेखकों, फिल्मकारों को नाम, अपार शोहरत और दौलत दी, उस भूख को ही हमारे नेता मिटाने की बात करते हैं. आप ही सोचिए किसी को मिटाने की बात करना कितना बड़ा गुनाह है. ये बात कोई चोरी चुपके नहीं करता बल्कि मुझे मिटाने के लिए लोग घोषणाएं करते हैं. कांग्रेस कहती है कि गरीबी हटाओ, तो भाजपा कहती है भय, भूख और भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा को वोट दें. मुझे मिटाने की बात सिर्फ भारत के ही नेता नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत संयुक्त राष्ट्र से भी होती रहती है.

आखिर मुझमें क्या कमी है जो लोग मुझे मिटाना चाहते हैं. मैं दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती हूं. मुझपर हर कोई विजय पाना चाहता है. लेकिन मैं मिटनेवाली नहीं हूं, आसानी से तो बिल्कुल ही नहीं. मैं बहुत ताकतवर हूं, लेकिन जब इंसान मेरी वजह से मौत के मुंह में जाता तो, तो मेरा दिल भी द्रवित हो जाता है, मैं भी रोने लगती हूं. आखिर हर उस इंसान के साथ मेरी भी तो मौत होती है. इंसान एकबार मरता है और मैं बार-बार मरती हूं. मुझे भी इससे छुटकारा चाहिए. लेकिन मैं खुद ही नहीं मिट सकती हूं न. मुझे मिटानेवाला कोई चाहिए. अगर कोई मेरी बात सुन रहा हो तो मैं उससे कहना चाहती हूं कि जितना पैसा, जितना संसाधन तुम हथियार बनाने में खर्च करते हो, उसका एक चौथाई भी अगर मुझपर खर्च कर दो तो मैं मिट सकती हूं. अंत में, मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि घोषणाएं करना छोड़ो और सच्चाई को कबूलो, नहीं तो मैं बार-बार और हरबार तुमको चुनौती देती रहूं.

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