क्या होगा जब मॉनसून हमेशा-हमेशा के लिए भारत से रूखसत हो जाएगी. तब क्या भारत मरूस्थल में तब्दील हो जाएगा. विशेषज्ञों की माने से सौ-डेढ़ सौ साल में ऐसी स्थिति आने वाली है. जब देश से मॉनसून हमेशा हमेशा के लिए दूर चली जाएगी.
देश के 609 जिलों में 279 को आधिकारिक रूप से सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है. वित्तमंत्री पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि इसबार खरीफ फसलों के पैदावार में करीब तीस प्रतिशत की कमी आएगी.
वित्तमंत्री सूखे का हवाला देते हुए विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और विदेश राज्यमंत्री शशि थारूर को पंच सितारा होटल छोड़कर सरकारी आवास या गेस्ट हाउस में रहने की सलाह दी थी. इतना ही नहीं, वित्तमंत्री गैर-योजनागत खर्च में बीस फीसदी की कटौती किए जाने की बात भी कह चुके हैं. जबकि प्रधानमंत्री ने कांग्रेसी सांसदों और विधायकों को अपने वेतना का पांचवा हिस्सा सूखा राहत कोष में देने की अपील की है.
एक साल मॉनसून ने अपना रंग दिखाया और देश की हालत पहली हो गई. क्या होगा जब मॉनसून हमेशा-हमेशा के लिए भारत से रूखसत हो जाएगी. तब क्या भारत मरूस्थल में तब्दील हो जाएगा. विशेषज्ञों की माने से सौ-डेढ़ सौ साल में ऐसी स्थिति आने वाली है. जब देश से मॉनसून हमेशा हमेशा के लिए दूर चली जाएगी.
पुणे स्थित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान ने अपने तीस सालों के अध्ययनों के आधार पर दावा किया है. संस्थान का कहना है कि इस तरह से वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, उससे जल्द ही देश में ऐसी स्थिति आ सकती है. संस्थान ने पिछले तीस सालों के मानसून का अध्ययन किया. अपने अध्ययन में पाया कि 1977-98 की अपेक्षा 1997-98 में धरती का तापमान करीब एक डिग्री सेल्सियस बढ़ा है और इस कारण से बारिश में तीस प्रतिशत की कमी आई है. अगर हम वैश्विक तापमान पर बनी सहमति की ही बात करें तो दुनिया के देश वैश्विक तापमान में दो प्रतिशत बढ़ोतरी होने देने की बात पर राजी हो गए हैं. लेकिन उनका भी कहना है कि दो से ज्यादा नहीं.
विश्लेषण से साफ है कि तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी से बारिश में तीस प्रतिशत की कमी हो रही है तो दो डिग्री सी वृद्धि से बारिश में साठ प्रतिशत की कमी जाएगी.
संस्थान के मुताबिक स्थिति चिंताजनक है. अगर तापमान में इसी तरह बढ़ोतरी होती रही तो अगले एक से डेढ़ सौ साल में मॉनसून भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह देगा.
दरअसल, तापमान में बढ़ोतरी से अरब सागर का भी तापमान बढ़ेगा और यह मॉनसून को भारत से दूर लेकर चला जाएगा. ऐसी स्थिति में बारिश बिल्कुल नहीं होगी. तब भारत सहारा और कालाहारी के मरूस्थल में बदल जाएगा.
स्थिति ऐसी नहीं हो, इसके लिए हम सभी को व्यापक स्तर पर सोचना होगा. क्योंकि हम आने वाली पीढ़ी को एक मरूस्थल भारत देकर नहीं जाना चाहेंगे.
गुरुवार, 10 सितंबर 2009
क्या डेढ़ सौ साल बाद भारत मरूस्थल बन जाएगा?
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