राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के प्रणेता के एन गोविंदाचार्य आज पहुंचे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(सुधारकर पढ़ें- अल्पसंख्यक अधिकार आयोग, खासकर मुसलमान-ईसाई अधिकार आयोग). गोविंदाचार्य की शिकायत थी कि आयोग साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की चीख पुकार नहीं सुन रहा है और वो सुनाने आए हैं. उनका कहना था कि साध्वी की आवाज शायद आयोग के कानों तक नहीं पहुंच रही है, इसलिए वे उसकी आवाज को आयोग को सुनाने के लिए पहुंचे हैं. क्या गोविंदाचार्य जी, आप भी सठिया गए हैं. अरे देश में मानवाधिकार आयोग जैसी चीज होती तो देश की ये दुर्दशा होती. गलती से भी महिला आयोग का दरवाजा मत खटखटा दीजिएगा, वर्ना ये लोग आपको महिला विरोधी करार देने से भी नहीं हिचकेंगे.
काहे टेंशन ले रहे हैं साहब, चुनाव करीब है. कांग्रेस को आतंकवाद का कलंक धोने के लिए, हजारों मासूमों के कत्ल का खून साफ करने के लिए डिटरजेंट तो चाहिए. थोड़ा खुद को पाक साफ साबित कर लेने दीजिए. कल तक आप हिंदुवादी लोग राष्ट्रीय स्वाभिमान की बात करते थे, आज कांग्रेस ने आप राष्ट्रवादियों को आतंकवादी साबित कर दिया न.
पिछले पांच सालों में देश में कम से पचास धमाके हुए हैं, क्या एटीएस कभी इतना हाथ पांव मारी थी. आज क्यों मार रही है. क्यों झूठ पर झूठ बोले जा रही है. क्यों बयान बदल रही है, क्यों रोज-रोज प्रेस कांफ्रेंस कर रही है. दावा कर रही है कि उसके पास सारे सबूत हैं तो आरोपियों पर मकोका क्यों लगा रही है, क्यों नहीं सीधे कोर्ट के सामने सारे सबूत रख रही है. आखिर एटीएस इतना स्यानी कब से हो गई है.
आप भी. क्यों चले गए अल्पसंख्यक अधिकार आयोग के पास. किसी मुसलमान और ईसाई(सिख भी नहीं) को खरोंच भी लगती तो आयोग आसमान सर पर उठा लेता, लेकिन आज आपको उसे साध्वी की आवाज सुनानी पड़ रही है.
छोड़ दीजिए, साहब तरस खाइये, वह जिसका पैसा खा रहा है. उसका गा रहा है. मीडिया पर भी मेहरबानी करिए. वो ईसाई मिशनरियों का पैसा खा-खाकर अल्पसंख्यक गान गा रही है. अच्छा होगा कि आप और हम सभी इस अभियान में शामिल हो जाए.
अल्पसंख्यक अधिकार बाबा की जय
अल्पसंख्यक अधिकार बाबा अमर रहे
कांग्रेस-कम्युनिष्टों की दुकान चलती रहे.
फिर अल्पसंख्यक बाबा की जय
शनिवार, 22 नवंबर 2008
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सही नहीं कर रहे हैं, उन्हें अल्पसंख्यक आयोग जाना चाहिये, वैसे भी थोडे दिनों में हिन्दू अल्पसंख्यक बन जायेंगे, उस दिने के लिये पहले से ही अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दें.
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