हिंदी शोध संसार

रविवार, 26 अक्तूबर 2008

देशद्रोही और लूट का माल

बीजिंग में सिर्फ एक स्वर्ण पदक ने पूरे देश को दीवाना बना दिया. उसी वक्त मेरे दिल में ख्याल आया कि भारत को एक नहीं, बल्कि किसी भी दूसरे देश के मुकाबले कम से चार गुना स्वर्ण पदक मिल सकता है. इसके लिए ज्यादा कुछ नहीं करना होगा, सिर्फ विदेशी बैंकों में जमा काले धन को प्रतियोगिता में शामिल करना होगा. स्विस बैंक में जमा काले धन में भारत की हिस्सेदारी किसी भी दूसरे देशों के मुकाबले चार गुना से ज्यादा है. दूसरे नंबर पर रूस. रूस के मुकाबले भारत का कम से कम चार गुना धन स्विस बैंक में जमा है.

दिलचस्प बात तो ये हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत अमेरिका इस सूची में पांचवे नंबर पर भी नहीं है.

हाल में अंतर्राष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए स्वीटजरलैंड सरकार खाताधारियों के नाम बताने पर राजी हो गई, बशर्ते संबंधित देश की सरकार इसके लिए उससे अपील करे. स्वीटजरलैंड सरकार उन देशद्रोहियों और गद्दारों का नाम बताने को तैयार हैं, लेकिन भारत सरकार उसका नाम जानना नहीं चाहती है, जिनका कालाधन स्विस बैंक में जमा है. साफ है कि ये पैसा खेत में काम करने वाले मजदूरों और खेतों में खून-पसीना बहाने वाले किसानों का नहीं बल्कि ये पैसा भ्रष्ट नेताओं, नौकरशाहों, अफसरों, पूंजीपत्तियों, उद्योगपतियों, क्रिकेटरों, फिल्म अभिनेताओं, देहव्यापार से जुड़े दलालों, वन्यजीव चोरों और ड्रग स्मगलरों का है. जिन नामों का खुलासा सरकार भी करना नहीं चाहेगी.

स्वीस बैंक में जमा कालेधन को देखकर उन लोगों की जुबां पर ताला लग जाएगा, जो भारत को गरीब कहते हैं. चलिए उठाते हैं रहस्य से पर्दा,स्वीस बैंक में देशवासियों के खून-पसीने का करीब 1500 अरब डॉलर यानी पंद्रह खरब डॉलर यानी 750 खरब रुपये जमा है. यह पैसा, उस पैसे से दुगुना है, जितना अमेरिकी सरकार ने अपने सरकारी बैंकों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए बेल आउट पैकेज के रूप में दिया है. यह पैसा उस पैसे से तेरह गुना ज्यादा जितना हमने विदेशों से कर्ज ले रखा है. ये पैसा देश के पैंतालीस करोड़ गरीबों में बांट दिया जाए तो हर गरीब को एक-एक लाख रुपये मिलेंगे. ये पैसा इतना ज्यादा है कि अगर इसे ब्याज पर लगा दिया जाय तो इसका सूद केद्र सरकार के वार्षिक बजट से भी ज्यादा होगा. अगर केंद्र सरकार सारे टैक्स हटा भी दे तो भी किसी काम के लिए पैसे की कमी नहीं रहेगी.

शेष अगले अंक में-

4 टिप्‍पणियां :

  1. बहुत सुंदर लिखा है. दीपावली की शुभ कामनाएं.

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  2. जिनका कालाधन स्विस बैंक में जमा है. साफ है कि ये पैसा खेत में काम करने वाले मजदूरों और खेतों में खून-पसीना बहाने वाले किसानों का नहीं बल्कि ये पैसा भ्रष्ट नेताओं, नौकरशाहों, अफसरों, पूंजीपत्तियों, उद्योगपतियों, क्रिकेटरों, फिल्म अभिनेताओं, देहव्यापार से जुड़े दलालों, वन्यजीव चोरों और ड्रग स्मगलरों का है. जिन नामों का खुलासा सरकार भी करना नहीं चाहेगी.
    उपरोक्त बात सही है | स्विस सरकार के नए नियम का भी क्या फायदा |

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  3. कांग्रेसियों, नेहरू-गाँधी परिवार, कुछ अन्य राजनैतिक दलों के माफिया बाहुबलियों का पैसा जमा है, चोर ख़ुद अपने चोरी के माल की जब्ती क्यों कराएगा?

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