हिंदी शोध संसार

शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2008

धर्म के आधार पर देश को बांटने का एक और प्रोग्राम

छद्म-निरपेक्षतावादियों को ये जानकर काफी खुशी होगी कि केंद्रीय कैबिनेट ने आज मदरसा के आधुनिकीकरण के नाम पर 625 करोड़ रूपये के अल्पसंख्यक तुष्टिकरण पैकेज को मंजूरी दे दी है. इससे पहले केंद्र की यूपीए सरकार ने धर्म के आधार पर देश को बांटने वाले कितने पैकेजों को मंजूरी दी इसका उल्लेख करें तो ये लेख बड़ा हो जाएगा. केंद्र सरकार ने आम बजट-2008 में मुस्लिम बहुल इलाकों के विकास के नाम पर 5500 करोड़ का भारी भरकम पैकेज दिया. इससे पहले देश के 90 मुस्लिम बहुल इलाकों की पहचान की गई और उसमें सरकारी बैंकों की शाखाएं खोलने और मुसलमानों को खुले दिल से कर्ज देने की हिदायत दी गई. आज ही एक और खबर आई कि माननीय केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने केंद्रीय विद्यालय के प्रतीक चिह्न से कमल और सूर्य का निशान हटाने का आदेश दिया. यह आदेश काफी पहले दिया गया और कांग्रेस शासित प्रदेश के शासकों इस हुक्म को तुरंत पालन किया.
यानी सब कुछ उसी रास्ते पर जा रहा है, जिस रास्ते पर अंग्रेजों ने देश को बांटने का काम किया. उस समय जिस भूमिका में अंग्रेज थे, इस उस भूमिका में कांग्रेस पार्टी है. देश में मोहम्मद अली जिन्नाओं की कमी नहीं है, कहीं न कहीं हिंदू महासभा भी अपनी ताकत इकट्ठा कर रही है, वह देश को बांटने वाली ताकतों का विरोध कर रही है. जिन्ना प्रवृति को बढ़ावा मिल रहा है. वही जिन्ना जो हिंदुओं की गुलामी से मुसलमानों को बचाने के लिए अलग राष्ट्र की मांग करता है. गांधीजी के तैयार नहीं होने पर उन्हें त्वरित एक्शन की धमकी देता है. इस धमकी के बावजूद गांधी का दिल इस बंटवारे के लिए नहीं मानता. फिर जिन्ना रक्तपात पर उतारू हो जाता है. फिर तो खून का सैलाब उमड़ पड़ता है.
यह सब जानते हुए कांग्रेस आज एकबार फिर उसी राह पर बढ़ रही है. जब देश में लाखों स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय हैं उसके बावजूद वह धार्मिक शिक्षा(एक खास मजहब की धार्मिक शिक्षा) के लिए करोड़ों रुपये का फंड क्यों दे रही है. समाज के सभी वर्ग के गरीबों की बात नहीं कर कांग्रेस केवल मुसलमानों के लिए अलग से पैकज क्यों दे रही है. क्या यह समाज के दूसरे वर्गों और धर्मावलंबियों का अपमान नहीं है. कांग्रेस ने कितने मठों के विकास के लिए कितने पैकेज दिेए हैं. उल्टे वामपंथियों ने कितनों कितने ही मठों में लूटपाट मचाकर बंदरबांट कर खाया. एक तरफ एक धर्म का अपमान और दूसरे धर्म का तुष्टिकरण. कहते हैं जिस थाली का खा रहे हो उसे में छेद कर रहे हो. जिस डाली पर बैठे हो उसी को काट रहे हो. धर्म-निरपेक्षता के नाम पर दर्जनों छोटी-छोटी पार्टियां साथ हो जाती है और जनता के टैक्स के पैसे पर तुष्टिकरण का एजेंडा चलाती हैं. दिल्ली में धमाके के आरोपी को मदद करने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालय के एक कुलपति के बचाव में स्वयं मानव संसाधन विकास मंत्री आते हैं. वहीं मानव संसाधन मंत्री जो अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में मुसलमानों को पचास फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते हैं.
दर असल वोट बैंक के लिए ये लोग इतने अंधे हो गए हैं जिन्हें देश के साथ गद्दारी भी कबूल है. ये लोग नहीं चाहते हैं कि इस देश का मुसलमान देश की मुख्यधारा में शामिल हो. मुख्यधारा की शिक्षा लें. ये चाहते हैं कि ये लोग इसी तरह मौलवी और इमामों के हाथों की कठपुतली बने रहें. मस्जिदों और मदरसों से कांग्रेस को वोट डालने के लिए फतवे जारी होते रहे.

3 टिप्‍पणियां :

  1. bilkul sahi kaha aapne, foot dalo aur raaj karo ki khaad ka bharpoor prayog kar voton ki fasal kaati hai congress ne, baaki bhi ab yah khaad laga rahe hain.

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  2. बिल्कुल सही कहा धर्म क नाम पर बाँट कर ्य
    देश को उसी ओर ले जा रहे हैं।

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  3. श्श्श्श्श्श्श्स लालू-अर्जुन नाराज हो जायेंगे भाई, सोनिया आंटी का पल्लू पकड़कर चलने वाले धर्मनिरपेक्ष भी… काहे टेंशन लेते हैं… देश में पहले से कई पाकिस्तान मौजूद हैं और बन जाने दीजिये… जब जनता ही सो रही है और सेकुलर लोग सोने का नाटक कर रहे हैं तो क्या किया जाये…

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