बुधवार, 1 अक्तूबर 2008
एक और थुक्कम फजीहत
भरत झुनझुनवाला के एक लेख में पढ़ा था कि अगर विकास की बात करनी हो तो पहले अविकास पैदा करो, फिर उसे भगाओ, देखोगे कि विकास दिखने लगेगा. आज अपने देश में हर ओर यही हो रहा है. पहले खूब भ्रष्टाचार बढ़ाओ, फिर सूचना को पहले अधिकार, फिर उसको कानून बना दो. पहले बीमार पैदा करो, बीमारी पैदा करने में खूब खर्च करो, फिर अस्पताल खोल दो. देखो विकास कैसे नहीं होता है.
देश के स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदौस वेणुगोपाल प्रकरण में काफी थुक्कम फजीहत झेल चुके थे. उनको कही से भी जीत नहीं मिली यानी उनका पहला मिशन- वेणुगोपाल हटाओ, बुरी तरह असफल रहा है. दूसरा मिशन है ध्रूमपान निषेध है.
क्या बुराई है. देवानंद जैसे फिकरमंद लोगों का फिकर धुंए में उड़ाने का एकमात्र जरिया था सिगरेट. उसपर भी अंबुमणि रामदौस की नजर लग गई है. उन्होंने शाहरूख खान से कहा, देवानंद से कहा, बुद्धदेव भट्टाचार्य से कहा कि आप बुरी लत छोड़ दो. लेकिन किसी ने नहीं छोड़ा सबने मना कर दिया. आखिर कोई क्यों माने. अंबुमणि रामदौस को सिगरेट नहीं पीना है तो मत पीये. दूसरों के पीछे हाथ धोकर क्यों पड़े हैं. कोई पी रहा है तो उनका क्या बिगड़ रहा है. पीने वाला भी जानता है कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, इसके बावजूद पीता है. जो नहीं पीता है, उसको असभ्य, गंवार, जाहिल की नजरों से देखता है. तो फिर स्वास्थ्य मंत्री को क्या गरज पड़ी है. उन्होंने पूरे भारत को स्वस्थ बनाने का ठेका ले रखा है क्या.
इससे क्या होगा, लाखों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा. लाखों लोगों के पेट पर लात पड़ेगी. मंत्रीजी के एक फैसले ने लाखों लोगों को सड़क पर लाने का काम किया है. पहले से ही करोड़ों लोग सड़कों पर हैं, जिसे धूम्रपान निषेध की परिभाषा के अंतर्गत आप सार्वजनिक जगह नहीं कह सकते हैं. वहां हजारों यतीम-आवारा बच्चे स्मैकिंग कर रहे है, यह स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक है. इनमें से दो चार बच्चों को बचाने की फुर्सत मंत्री जी को नहीं है.
देखना है तो आइए हैदराबाद को देखिए, यहां पानी के लिए आप भले तरस जाएं शराब नहाने के लिए भी आपको मिल जाएंगी. शराब जिसने लाखों लोगों का घर बर्बाद किया है. लाखों लोगों की जिंदगी तबाह की है, वह आंधप्रदेश में दाल-सब्जी से भी ज्यादा आसानी से मिलती है.
ये शराब सरकार को भारी राजस्व देती है. भ्रष्ट मंत्रियों की जेब गर्म करती है. इसलिए यह सब चलता है. एक एक दुकान का सलाना ठेका दिलाने के लिए दो-दो करोड़ का घूस मिलता है. इसलिए सब जायज है.
मंत्रीजी को लोकस्वास्थ्य की चिंता है. ये चिंता, चिंता कम और जिद ज्यादा है. यदि लोक स्वास्थ्य की चिंता है तो मंत्रीजी तंबाकू के उत्पादन, आयात और निर्यात पर रोक लगाएं. लोकस्वास्थ्य की चिंता है तो शराब के उत्पादन आयात और निर्यात पर रोक लगाए. लेकिन इससे राजस्व का नुकसान होगा. अगर राजस्व का नुकसान होगा तो छद्म-सक्यूलर एजेंडा कैसे चलेगा. इस सब की चिंता भी तो मंत्रीजी को है.
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सही कहा आपने..यदि लोक स्वास्थ्य की चिंता है तो मंत्रीजी तंबाकू के उत्पादन, आयात और निर्यात पर रोक लगाएं. लोकस्वास्थ्य की चिंता है तो शराब के उत्पादन आयात और निर्यात पर रोक लगाए. लेकिन इससे राजस्व का नुकसान होगा.
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