हिंदी शोध संसार

शनिवार, 16 अगस्त 2008

मैं बांटा बंदर के जैसा

मैं बांटा बंदर के जैसा
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लालकिले के प्राचीर से प्रधानमंत्री ने राष्ट्र की जनता को संबोधित किया(उस जनता को जो उन्हें चाहती है, अगर चाहती तो वे राज्यसभा के बदले लोकसभा के सदस्य होते.) प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि देश के लोगों को विभाजनकारी शक्तियों से सावधान रहना चाहिए.
विभाजनकारी शक्तियों को पहचानने के लिए दिमाग पर जोर डालना नहीं पड़ेगा. बात को घूमाने फिराने के बदले सीधी-सीधी कह देता हूं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी सरकार ने पिछले साढ़े चार सालों में देश में विभाजन की जो कथा लिखी, वैसी कथा इससे शायद किसी कांग्रेसी सरकार ने करने की हिम्मत नहीं दिखाई(वैसे शाहबानो प्रकरण कई एक प्रकरणों के जरिए कांग्रेस इस जाबांजी का उदाहरण पेश कर चुकी है. वैसे इसकी क्षमता शक नहीं किया जाना चाहिए). कांग्रेस की सरकार ने मुस्लिमों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति जानने के लिए सच्चर कमिटी बनाई, उसकी रिपोर्ट के जरिए देश में कई विभाजनकारी योजनाएं लागू करवाई(अभी तक हिंदुओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति जानने के लिए उसने एक भी कमिटी नहीं बनाई.)
1. मुस्लिम लड़कियों के लिए अलग से छात्रवृति की घोषणा की.
2. मुस्लिम बहुल में सरकारी बैंको की शाखाएं खोलने का प्रावधान किया.
3. इनमें मुसलमानों को कर्ज देने की विशेष व्यवस्था की गई.
4. बजट में मुसलमानों को 5500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए.
6. आंध्रप्रदेश में मुसलमानों के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था की गई.
7. मुस्लिम छात्रों की व्यवसायिक शिक्षा का खर्च सरकार वहन करेगी.
8. प्रधानमंत्री ने कहा था, इस देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है.
9. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मुसलमानों को पचास प्रतिशत आरक्षण देने की तरफदारी कांग्रेस करती है.
10. ओबीसी आरक्षण को अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों में लागू नहीं करने की पैरवी कांग्रेस करती है.
11. अमरनाथ श्राईन बोर्ड को जमीन देकर अलगाववादियों के दबाव में जमीन वापस कांग्रेस सरकार लेती है..
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तो माननीय प्रधानमंत्री जी, आप और आपकी सरकार से ज्यादा विभाजनकारी शक्ति कौन है. भाजपाई और उनके अनुयायी तो महज आपकी विभाजन कारी नीतियों का विरोध करते हैं. और आप हैं जो न्याय के नाम पर अन्याय किए जा रहे हैं. आप ही लोगों को आगाह करते है. हद है. साहब.

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