हिंदी शोध संसार

गुरुवार, 17 जुलाई 2008

यही सच है.">यही सच है.

जानकर अच्छा लगा, काफी खुशी हुई कि आप मेरा ख्याल रखते हैं. विरोधी दल के लोग आपकी बातों को घड़ियाली आंसू कहे, लेकिन मैं आपको अपना हमदर्द समझता हूं. मुझे यह कभी नहीं लगा कि आप झूठ बोलते हैं. उनके बोलने से क्या होगा, आप मेरी खातिर करते हैं, मैं इस बात को समझता हूं, क्या यही कम है. कुछ साल पहले आपने किसी से कहा था, गरीबी हटाओ. अब किसी ने सुना नहीं तो आपका क्या दोष है. आपने कहा तो था और मैंने सुना तो था. शायद आपकी बातों को उसने गलत समझ लिया और गरीबी हटाने के बजाए मुझे जैसे गरीबों को ही हटाने लगा. अगल-बगल में कोई गरीब नहीं बचा है, मैं बचा हूं, मुझे हटा दीजिए. आपका गरीबी हटाओ अभियान सफल हो जाएगा. अबकी बार जब आप आ रहे थे, तो आपने कहा था, मेरा हाथ आपके साथ. मुझे पूरा भरोसा था कि आप कुछ इसी तरह हमदर्द बनकर आएंगे और मेरी अंधेरी झोपड़ी में चिराग जलाएंगे. दुष्यंत कुमार">दुष्यंत कुमार को तब शिकायत नहीं रह जाएगी कि, कहां तो तय था चिरांगा हरेक घर के लिए. आपने मेरे विश्वास को कतई टूटने नहीं दिया. अमेरिका के साथ परमाणु करार">परमाणु करार लेकर आए. अब विरोध करने वाले क्या जाने पूरी दुनिया परमाणु बिजली से भकभक है और भारत को भकभकाने के लिए आप अमेरिका को किस तरह पटाये हैं. एक आप ही थे जो अमेरिका पट भी गया दूसरे किसी से भी नहीं पटता. अब जब आप कर रहे हैं तो खिसियानी बिल्ली खंभा नोचने लगे हैं. आपकी सरकार को बीच मझधार">मझधार में छोड़ दिए हैं. वे आपको छोड़ने की वजह सिर्फ आपका उजाला फैलाव कार्यक्रम को नहीं बताया. वे तो ये बता रहे हैं कि महंगाई के मुद्दे पर भी आपसे उनका विरोध है. वे क्या जाने आपने देश में सैंकड़ों करोड़पतियों का निर्माण किया(भले ही इसमें सैंकड़ों पतियों को कुर्बानी देनी पड़ी हो.). क्या यह मामूली है. महंगाई क्या कोई मुद्दा है, जो आपको छोड़ने के लिए विवश कर दे. वे क्या जाने मंदिर के कंगूरे को चमकने के लिए हजारों ईंटों को दफन होना पड़ता है. मेरे जैसे कुछ हजार मिट्टी में मिल ही गए तो क्या हुआ, दर्जनों विभूतियों को तो आपने पैदा कर दिया जो देश का नाम विदेशों में रौशन कर रहे हैं. इनकी चमक-दमक से कभी बुश तो कभी क्लिंटन की आंखें चुंधिया जाती है. खैर उनकी समझ में कहां से आएगी ये बातें. जाने दीजिए, अब जब मेरा नसीब ही खोंटा है तो आप क्या करिएगा. सदियों-सदियों से आप जैसे हमारे जैसे लोगों के धर में परमाणु का चिराग जलाने की कोशिश करते रहे हैं और उनके जैसा लोग इसमें बाधा खड़ी करने की कोशिश करते रहे हैं. यही सच है.

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