हिंदी शोध संसार

रविवार, 9 दिसंबर 2007

झुलसती मासूमियत


कल तक ये किसी के सपनों का आशियाना था। आज खंडहर बन गया है। कुछ दहशतगर्दों, कुछ गुंडों ने पहले तो इन्हें जम कर लूटा, फिर फूक दिया। लोगों को पीटा। उन्हें मौत के घाट उतरा। ये लोग कोई और नहीं थे। पड़ोस में रहने वाले लोग थे। कभी हमदर्द हुआ करते थे। आज एकाएक खून के प्यासे हो गए।

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