हिंदी शोध संसार

मंगलवार, 4 दिसंबर 2007

मोदी बड़ा या गुजरात

एक वक्ता था, जब इंदिरा के बारे में किसी कांग्रेसी नेता ने कहा-- इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा। साफ है कि इंडिया की पहचान आज इंदिरा गाँधी से नहीं है। उसी तरह मोदी गुजरात से बड़ा नहीं है। क्योकि गुजरात से मोदी हैं, मोदी से गुजरात नहीं। गुजरात तब भी रहेगा, जब मोदी नहीं रहेंगे। कितने मोदी आएंगें कितने जाएंगे। पता नही।
प्रायः सभी राष्ट्रीय चैनलों ने मोदी के खिलाफ अभियान चला रखा है। जुबान पर सच कहने वाले एक राष्ट्रीय चैनल ने तो बाकायदा मोर्चा खोल रखा है। इस चैनल पर इस समय करीब बीस प्रतिशत कार्यक्रम मोदी बनाम गुजरात के नाम पर चलाया जा रहा है।
इस साल के सबसे बडे प्रस्तोता के मुहँ से बड़ी हास्यास्पद बात निकलती है- कि मोदी विकास के साबुन से सांप्रदायिक दंगों का खून धोना चाहते हैं।
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि गुजरात दंगों में खून बहा- अगर हिन्दू और मुसलमान के खून का रंग अलग अलग होता तो शायद पता चल जाता कि इस दंगें में मुसलमान के साथ हिन्दू भी मारे गए थे।
गुजरात दंगों के साथ गोधरा ट्रेन अग्निकांड का जिक्र क्यों नहीं किया जाता। आखिर क्या कसूर था उन कारसेवकों का जिन्हें कथित बेस्ट बेकरी से भी बढकर मौत मिली। अठावन लोंगों को एक साथ भट्ठी में झोंक किया गया।
सियासत के जंग में अगर बीजेपी मौत का सौदागर है तो कांग्रेस और वामपंथियों ने भी किसी से कम जुर्म नहीं ढाए।
१९८४ के सिख विरोधी दंगे, नंदीग्राम जनसंहार, असाम में चल रहे जातीय हिंसा पर तथाकथित जुबान पर सच सच होने का दवा करने वाली मीडिया चर्चा करने से क्यों बचती रहती है।
अगर इस देश में हिंदुत्व वादी राजनीती जिंदा है तो वो मुस्लिम तुष्टिकरण की वजह से। कांग्रेस और तथाकथित छद्म-धर्मनिरपेक्ष शक्तियों की वजह से।
हमारी राष्ट्रीय मीडिया जिस तरह से मोदी के पीछे हाथ धोकर पड़ी है, उससे मोदी का कतई नुकसान नहीं होगा। मोदी और ताक़तवर होकर उभरेंगे।
आप मोदी के विकास के नारे का विरोध करते हैं। बाढ़, भूकंप, सूखा और सांप्रदायिक दंगों से जूझते गुजरात में मोदी ने जो विकास कर दिखाया वह सिर्फ मोदी ही कर सकता है।
यह सच है की मोदी किसी की बात नहीं सुनते, किसी को घूस लेने नहीं देते, भर्ष्टाचार पर लगाम कसे हुए हैं। ऐसे में उनके कई अपने विरोधी हैं तो आश्चर्य कैसा?

1 टिप्पणी :

  1. अपने राष्ट्रवादी विचारों और विकासकारी कार्यों से नरेन्द्र मोदी गुजरातियों के दिल पर राज कर रहे हैं। देश के पिछड़े हिस्सों के मुख्यमंत्रियों को मोदी से विकास के गुर सीखने चाहिये। भारतीय मीडिया का कर्तव्य है कि वह मोदी विकास कार्यों को प्रचारित करे ताकि अन्य प्रान्तों में भी विकास की जागृति आये।

    किन्तु भारत का नब्बे प्रतिशत मीडिया की बागडोर तो भारत-विरोधी शक्तियों के हाँथ में है। उनसे ऐसे पावन कार्य की आशा कैसे कर सकते हैं?

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