मैं अपराधी हीन मति, परों मोह के जाल 
मम कृत दोष न मानिये तुम प्रभु दीन दयाल 
तारा में शशि एक है शशि में तारा अनेक 
हम सब तुमको एक हैं तुम सब हमको अनेक 
श्री गुरु मंगल मुख चन्द्रमा सेवक नयन चकोर 
अष्ट पहर निरखते रहो श्री गुरु चरण कि ओर
गुरुवार, 1 नवंबर 2007
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