उपदेशों हि मनुष्या मुर्खानाम प्रोकोपाय न शान्ताये
पयः पानं भुजन्गानाम केवलं विश्वर्धनाम
उपदेश से मूर्खों को शांति नहीं मिलती बल्कि गुस्सा बढता है, जैसे कि सांप को दूध पिलाने उसका विष बढता है.
बुधवार, 24 अक्तूबर 2007
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें
(
Atom
)
hi satyajeet,
जवाब देंहटाएंi have just visited your blogsite.really this effort is beyond simple mentality.in begusarai 'blogwriting' is new trend and as a journalist i feel that it is a medium of expression and everything.your blogsite is based on 'sanskrit shlok'.i wish a prosperous future for you.
thanks
see you again on your site.