हिंदी शोध संसार

शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2016

क्यों हुई साइरस मिस्त्री की छुट्टी?



टाटा ग्रुप से साइरस मिस्त्री को बड़े बेआबरू होकर जाना पड़ासाइरस मिस्त्री को हटाए जाने की खबर पर हर कोई अवाक् रह गया.. एसपी प्रमुख मुलायम सिंह भी अखिलेश के काम से नाराज थेमुलायम के दोस्त अमर सिंह और भाई शिवपाल भी अखिलेश से खुश नहीं थेमगर किसी में हिम्मत नहीं थी कि अखिलेश को यूं चलता कर दिया जाए.. लिहाजा परिवार में घमासान मचा है.. लेकिन साइरस मिस्त्री के मामले में तो कोई घमासान नहीं था.. उन्हें 30 साल के लिए चेयरमैन बनाया गया था.. लेकिन महज चार साल के भीतर उन्हें चलता कर दिया था..कोई वजह भी तो नहीं बताया गया.. बताया सिर्फ इतना जा रहा है कि टाटा ग्रुप साइरस मिस्त्री के कामकाज से खुश नहीं था.. आखिर टाटा ग्रुप साइरस मिस्त्री से खुश क्यों नहीं था.. गहराई से पड़ताल करें तो कई वजह सामने आ जाएंगी..
  1. प्रॉफिट पर ही नजर
    जो लोग टाटा समूह की कार्यप्रणाली को करीब से जानते हैंवो आसानी से समझ जाते हैं कि टाटा सोशल रिस्पॉन्सिबिलटी के तहत काम करता है और अपनी जिम्मेदारी को वो बखूबी समझता है.. इसे दुधारू गाय के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.. जैसा कि दूसरी कंपनियां करती हैं.. साइरस मिस्त्री पर आरोप है कि उन्होंने टाटा ग्रुप को दुधारू गाय समझ रखा था और इसके दोहन में वो विश्वास करते थे.
  2. शेयरहोल्डर्स के साथ खराब व्यवहार
    साइरस की प्रॉफिट मेकिंग पॉलिसी का खामियाजा सीधे-सीधे शेयरधारकों को भुगतना पड़ाइसी साल अगस्त में टाटा मोटर्स के शेयरहोल्डर्स ने शिकायत की थी कि उन्होंने प्रति शेयर सिर्फ 20 पैसे का लाभांश मिला.. शिकायत बड़ी थी.. लेकिन साइरस मिस्त्री ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.. और कह दिया कि वो जुटाई गई पूंजी को नए प्रॉडक्ट्स में लगा रहे हैं.. लिहाजा लॉन्ग रन में चिंता करने वाली कोई बात नहीं है.
  3. कंपनी के ग्रोथ की कोई योजना नहीं
    साइरस मिस्त्री चाहते थे कि अगले दस साल में टाटा ग्रुप दुनिया की टॉप-25 कंपनियों में शुमार हो जाए.दुनिया की एक चौथाई आबादी तक इसकी पहुंच हो.. लेकिन साइरस मिस्त्री के पास इसकी कोई ठोस कार्ययोजना नहीं थी..
  4. समूह का उलझा हुआ ढांचा
    टाटा समूह की कंपनियों में क्रॉस ऑनरशिप है.. समूह की एक कंपनी का दूसरी कंपनी में पैसा लगा हुआ है.. दूसरा समूह की कार्यप्रणाली में नौकरशाही का दबदबा है..
  5. फैसले लेने में देरी
    कई मामलों में साइरस ने फैसले लेने में काफी देरी की.. बताया जा रहा है कि 2014 में कार्ल स्लिम की मौत के बाद टाटा मोटर्स में सीईओ की नियुक्ति में उन्होंने काफी देरी की..ऐसी कई वजह थीं.. जिसके चलते वो कारोबार की लीडरशिप में कोई जान नहीं फूंक पाए..
  6. स्लोलर्नर
    बताया जा रहा है कि साइरस मिस्त्री टाटा समूह की विविधाओं और जटिलताओं को आखिरी समय तक नहीं समझ पाए.. वो टाटा की तकनीक और उसकी सामाजिक समस्याओं को समझने में काफी देरी की..

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