केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने एक अहम जानकारी दी है- जिससे हिंदू आतंकवाद के पैरोकारों को सदमा लगे और हिंदू आतंकवाद शब्द का विरोध कर रहे लोगों को थोड़ी शांति मिले। वो जानकारी ये है कि अब एनआईए यानी राष्ट्रीय अन्वेषण ब्यूरो(शायद, जिसका निर्माण सिर्फ और सिर्फ हिंदू आतंकवाद पर नकेल कसने की मकसद से हुआ था), अब मालेगांव धमाके के नौ आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध नहीं करेगी।
सवाल उठता है आखिर क्यों, क्या एनआईए थक गया है या यूपीए सरकार थक गई या हिंदू आतंकवाद का राग अलापने वाले कांग्रेसी नेता, चाहे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हो या वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी या गृहमंत्री पी चिदंबरम थक गए हैं।
आखिर, एनआईए अब क्यों विरोध नहीं करेगी जमानत याचिका का।
आखिरकार, इन लोगों को तीन सालों तक जेल में रखने के बाद एनआईए अब क्यों पीछे हट रही है। कम से कम जांच पूरी होने तक और आरोप पत्र दाखिल होने तक इन लोगों को जेल में तो रखा ही जा सकता है। मगर, इन तीन सालों में मुंबई एटीएस और एनआईए ने क्या हासिल किया।
इसका सिर्फ एक और एक जवाब है- कुछ नहीं, सिफर, शून्य और कुछ नहीं।
आखिर मुंबई एटीएस और एनआईए इतनी निकम्मा है जो अपने आकाओं की एक हसरत पूरी नहीं कर सका।
गृहमंत्री की इस घोषणा के बाद, महाराष्ट्र एटीएस को बड़ी फजीहत और शर्मींदगी झेलनी पड़ेगी। इतना हीं, इस मामले ने उसकी जांच के तरीकों और बड़े बड़े दावों(अपने राजनीतिक आकाओं की शह पर ही सही) पोल खोलकर रख दी है।
जब चिदंबरम से पूछा गया कि क्या तीन सालों से जेल में बंद ये लोग निर्दोष हैं तो चिदंबरम ने कहा-- नहीं..
और तब तक नहीं, जब इस धमाके में शामिल किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में पता नहीं लगा लिया जाता और उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए जाते।
इतना ही, चिदंबरम ने यहां तक कहा कि जब पुराने आरोप पत्र का संशोधन नहीं हो जाता, तब तक वो किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते।
हालांकि चिदंबरम को अभी भी स्वामी असीमानंद के कथित स्वीकारोक्ति में हिंदूवादी आतंकवाद की संभावना दिख रही है।
ये सभी तक साफ नहीं हो पाया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण यानी एनआईए इन नौ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने वाले पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगी या नहीं। आखिर इन पुलिस अधिकारियों ने किस आधार पर इन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
मंगलवार, 1 नवंबर 2011
क्या हुआ हिंदू आतंकवाद का... संदर्भ- मालेगांव धमाके के आरोपियों की जमानत का एनआईए नहीं करेगी विरोध
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