हिंदी शोध संसार

सोमवार, 27 जून 2011

सरकार भी करती है षडयंत्र, चरित्रहनन


आचार्य बालकृष्ण का कार्यक्रम नेशनल चैनल यानी दूरदर्शन पर चलता था, तब बालकृष्ण फर्जी व्यक्ति नहीं थे। जब चार-चार मंत्री रामदेव की अगुवाई करने गए, तब रामदेव ठग नहीं थे। प्रशांत भूषण वर्षों से सुप्रीमकोर्ट में वकालत करते हैं, तब वो दलाल नहीं थे। सालों से मंदिर में सोए रहे अन्ना आरएसएस का मुखौटा नहीं थे। उनके संपत्ति की जांच नहीं गई। लेकिन आज जब इन लोगों ने भ्रष्टचार और कालेधन के खिलाफ आवाज उठाया तो बालकृष्ण फर्जी व्यक्ति हो गए, रामदेव ठग हो गए, प्रशांतभूषण राजस्व चोर हो गए, अन्ना हजारे आरएसएस का मुखौटा हो गए। क्या ये समझना किसी अंधे-बहरे व्यक्ति के लिए भी मुश्किल है। ये सरकार लोगों को ठग बनाती है, चोर बनाती है, फर्जी बनाती है, आरएसएस का मुखौटा बनाती है। वो भी उन लोगों को जो उसके खिलाफ जबान खोलते हैं। मीडिया को खरीदकर खुलकर ईमानदार घोषित करती है। भ्रष्टाचारियों को शह देती है। ऐसे में भ्रष्टाचार मिटेगा कैसे। कैसे होगा कालेधन का खात्मा। दरअसल, इस कालेधन में सरकार के कई मंत्रियों, विपक्षी दल के नेताओं की हिस्सेदारी है, सोनिया, राहुल, राजीव गांधी का पैसा है। स्वीस पत्रिका में स्वीस बैंक में राजीव गांधी के बैंक खाते होने की बात कही थी, लेकिन गांधी-नेहरू परिवार ने इस रिपोर्ट का खंडन नही किया। आखिर क्यों। अब जब विरोधी यही आरोप उनपर लगा रहे हैं तो सरकार उनका गला घोंट देना चाहती है। उनकी जुबान बंद कर देना चाहती है। आखिर इन लोगों ने पैसा जमा करने के लिए कितने ही पापड़ बेले। अब आखिर सरकार इनकी पोल कैसे खुलने देगी। यही वजह है कि सरकार अच्छे लोगों का चरित्र हनन करती है। आनेवाले समय में भी सरकार भ्रष्ट लोगों को बचाने के लिए सारे संवैधानिक मर्यादाओं को लांघने और संवैधानिक की हत्या करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। इसलिए सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगी, और मनमोहन अपनी छवि सुधारेंगे यह सोचना मूर्खता है। सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया, आखिर मनमोहन सिंह अहसानफरामोश कैसे हो जाएंगे। वो सोनिया गांधी की कृतज्ञता के बोझ से दबे हुए हैं आखिर वो कृतध्न कैसे हो जाएगे। एक व्यक्ति जो एक पंचायत का चुनाव नहीं जीत सकता है वो व्यक्ति दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री है। वो अहसान की कीमत को चुकाएगा ही। मनमोहन वही कीमत चुका रहे हैं। कई लोग कहते हैं कि सोनिया के अहसानों का मोल चुकाने के लिए वो देश के साथ विश्वासघात कर रहे हैं। जनता को धोखा दे रहे हैं तो उसका भी जवाब है कि इस देश की जनता ने मनमोहन को वोट कहां दिया है। आखिर जनता ने मनमोहन सिंह पर कौन सा उपकार किया जो वो जनता के प्रति कृतज्ञ बनें रहेंगे। मनमोहन सिंह तो सोनिया गांधी के कर्ज तले दबे हुए हैं। वो तो उन्हीं का कर्ज उतारेंगे। इसलिए मनमोहन सिंह से अपेक्षा करना व्यर्थ है। अभी और अभी मनमोहन सिंह का सिर्फ एक और एक मात्र मकसद है और वो है येन-केन-प्रकारेन साम-दंड-भय-भेद के जरिए कुर्सी से चिपके रहना ताकि ज्यादा से ज्यादा समय तक सोनिया अम्मा की सेवा की जा सके। घोटालों से घिरे गांधी नेहरू परिवार को घोटालों से बचाया जा सके। और मनमोहन सिंह यही कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें दिग्विजय और सिब्बल जैसे ताल-बैताल को षडयंत्र, दुष्प्रचार, प्रतिष्ठा हनन, चरित्र हनन का ठेका दे रखा है। ये ताल-बैताल अपनी भूमिका बखूबी अदा कर रहे हैं। कभी प्रशांत-भूषण के खिलाफ सीडी निकाल रहे हैं, तो कभी अन्ना और रामदेव के खिलाफ सीबीआई लगा रहे हैं, कभी रामदेव को ठग कह रहे हैं तो बालकृष्ण को फर्जी व्यक्ति करार दे रहे हैं। कपिल सिब्बल कभी रामदेव से बात करते हैं तो कभी उनकी हत्या के लिए पांच हजार पुलिस को लगा देते हैं। यानी जो कोई इनके कुकृत्यों के खिलाफ बोलेगा उनका हाल रामदेव जैसा होगा। पिग्गी सिंह तो अन्ना हजारे को भी रामदेव की तरह कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दे डाली है। एक तरफ सरकार का षडयंत्र, सरकारी लठैत, बेलगाम पुलिस दूसरी तरफ निहत्थी जनता और सिविल सोसायटी के लोग। देखते हैं ये लड़ाई और कितनी लंबी चल पाती है।
लेकिन इन सबमें विपक्षी पार्टी भाजपा और कम्युनिष्टों की भूमिका कम निंदनीय नहीं है। ये पार्टियां भी आंदोलनकारियों को समर्थन करने के बजाय सरकार का हाथ मजबूत करने में लगी हैं। ये पार्टियां नहीं चाहती हैं कि कोई सशक्त लोकपाल कानून बने, विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के लिए कोई पहल हो। ये पार्टियों तो सिर्फ और सिर्फ राजनीति करना जानती हैं। ये पार्टियां कभी जनता के हाथ से लड़ाई हाइजैक करना चाहती है तो कभी सरकार के सुर में सुर मिलाती है। जाहिर है कि विदेशों में जमा कालेधन में इनकी भी हिस्सेदारी है। जब चेहरे बेनकाब होंगे तो इनका चेहरा भी सबके सामने होगा। आखिर ये पार्टियां क्यों चाहेगी कि भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ कोई कानून बने। क्या इनके पास येदियुरप्पा जैसे मुख्यमंत्री नहीं हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को ये क्यों बर्दाश्त करेंगी, क्योंकि ऐसा होने से इनके भी दर्जनों नेता जेल में होंगे। ऐसे में भ्रष्टाचार रुकेगा इसकी आशा बिल्कुल नहीं की जानी चाहिए। कालेधन पर कोई कार्रवाई होगी। इसकी उम्मीद बिल्कुल नहीं की जानी चाहिए। सरकार का षडयंत्र, दमनचक्र जारी रहेगा। और ये सिलसिला तब रुकेगा जब जनता खुलकर आंदोलन करेगी और भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाएगी।

2 टिप्‍पणियां :

  1. मनोज जी...निरंकुश सत्ता के आगे सारे तर्क कुतर्क लगते हैं।राहुल करें तो रासलीला...रामदेव करें तो कैरेक्टर ढीला।जो निर्लज्ज सरकार थॉमस जैसे चोर से चौकिदारी कराती हो...जो निकम्मी सरकार राजा के भ्रष्टाचार पर धृतराष्ट्र की तरह अंधी हो..जो बेहया सरकार महंगाई पर तारीख दे रही हो....जो सरकार इतनी सारी अनंत और विशिष्ट धूर्तता का ज्ञान रखती हो...उसे रामदेव में एक भारतीय आत्मा कैसे दिखेगी।अन्ना का संघर्ष कैसे महसूस करेगी।देसी महंगाई के आगे मनमोहन सिंह की जब सारी कैम्ब्रिजियायी इकोनॉमिक्स फेल हो गयी तो संपादकों से सफाई देने लगे।घर में रोटी नहीं है ....सरकार रह रही है सेंसेक्स देखो।गाड़ी में तेल नहीं सरकार कह रही है अरब देशों का अखबार पढ़ों।गरीब भूखे पेट सो रहे है और सरकार कह रही है 20 रूपया कमाने वाले धन्ना सेठ है।वाह....यूपीए के दो साल....बिक गए कपड़े,खिंच गयी खाल

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  2. मनोज जी...निरंकुश सत्ता के आगे सारे तर्क कुतर्क लगते हैं।राहुल करें तो रासलीला...रामदेव करें तो कैरेक्टर ढीला।जो निर्लज्ज सरकार थॉमस जैसे चोर से चौकिदारी कराती हो...जो निकम्मी सरकार राजा के भ्रष्टाचार पर धृतराष्ट्र की तरह अंधी हो..जो बेहया सरकार महंगाई पर तारीख दे रही हो....जो सरकार इतनी सारी अनंत और विशिष्ट धूर्तता का ज्ञान रखती हो...उसे रामदेव में एक भारतीय आत्मा कैसे दिखेगी।अन्ना का संघर्ष कैसे महसूस करेगी।देसी महंगाई के आगे मनमोहन सिंह की जब सारी कैम्ब्रिजियायी इकोनॉमिक्स फेल हो गयी तो संपादकों से सफाई देने लगे।घर में रोटी नहीं है ....सरकार रह रही है सेंसेक्स देखो।गाड़ी में तेल नहीं सरकार कह रही है अरब देशों का अखबार पढ़ों।गरीब भूखे पेट सो रहे है और सरकार कह रही है 20 रूपया कमाने वाले धन्ना सेठ है।वाह....यूपीए के दो साल....बिक गए कपड़े,खिंच गयी खाल

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