हिंदी शोध संसार

रविवार, 12 जून 2011

रामदेव पर कार्रवाई-एक पत्रकार का अनुभव

3 जून को स्वामी रामदेव ने मुझसे पूछा था कि क्या ऐसा हो ***ता है कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश करे ? मैंने उनसे कहा कि कोई भी सरकार इतनी ब़ड़ी गलती नही करेगी “ आप शांति से अनशन कर रहे हैं ,आपके हज़ारो समर्थक मौजूद हैं, चालीस TV Channels की OB Vans वहां खड़ी हैं.” .. मैंने उनसे कहा था 'सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ऐसा कभी नहीं होने देंगे'...मेरा विश्वास था कि कांग्रेस ने Emergency के अनुभव से सबक सीखा है...पिछले 7 साल के शासन में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे ये लगा हो कि वो पुलिस और लाठी के बल पर अपनी सत्ता की ताकत दिखाने का कोशिश करेंगेलेकिन कुछ ही घंटे बाद सरकार ने मुझे गलत साबित कर दिया..मैंने स्वामी रामदेव से कहा था कि आप निश्चिंत होकर सोइये... देर रात मुझे इंडिया टीवी के Newsroom से फोन आया : "सर, रामलीला मैदान में पुलिस ने धावा बोल दिया है"...फिर उस रात टी वी पर जो कुछ देखा ,आंखों पर विश्वास नहीं हुआ कोई ऐसा कैसे कर ***ता है ...कैमरों और रिपोर्ट्स की आंखों के सामने पुलिस ने लाठियां चलाईं, आंसू गैस के गोले छोड़े, बूढ़े और बच्चों को पीटा, महिलाओं के कपड़े फाड़ दिए...मैंने स्वामी रामदेव को अपने सहयोगी के कंधे पर बैठकर बार-बार पुलिस से ये कहते सुना- "यहां लोगों को मत मारो, मैं गिरफ्तारी देने को तैयार हूं"...लेकिन जब सरकार पांच हजा़र की पुलिस फोर्स को कहीं भेजती है तो वो फोर्स ऐसी बातें सुनने के लिए तैयार नहीं होती...पुलिस वालों की Training डंडा चलाने के लिए होती है, आंसू गैस छोड़ने और गोली चलाने के लिए होती है पुलिस ये नही समझती कि जो लोग वहां सो रहे हैं वो दिनभर के भूखे हैं , अगर वहां मौजूद भीड़ उग्र हो जाती है तो पुलिस गोली भी चला देती...वो भगवान का शुक्र है कि स्वामी रामदेव के Followers में ज्यादातर बूढ़े, महिलाएं और बच्चे थे या फिर उनके चुने साधक थे जिनकी Training उग्र होने की नहीं हैजब दिन में स्वामी रामदेव ने मुझे फोन किया था तो उन्होंने कहा था - कि किसी ने उन्हें पक्की खबर दी है कि ''आधी रात को हजारों पुलिसवाले शिविर को खाली कराने की कोशिश करेंगे'' और ये भी कहा कि ''पुलिस गोली चलाकर या आग लगाकर उन्हें मार भी ***ती है''...मैंने स्वामी रामदेव से कहा था कि ''ऐसा नहीं हो ***ता-हजारों पुलिस शिविर में घुसे ये कभी नहीं होगा और आप को मारने की तो बात कोई सपने में सोच भी नहीं ***ता''...रात एक बजे से सुबह पांच बजे तक टी वी पर पुलिस का तांडव देखते हुए मैं यही सोचता रहा कि रामदेव कितने सही थे और मैं कितना गलत...ये मुझे बाद में समझ आया कि स्वामी रामदेव ने महिला के कपड़े पहनकर भागने की कोशिश क्यों की...उन्होंने सोचा जब पुलिस घुसने की बात सही हैलाठियां चलाने की बात सही है तो Encounter की बात भी सही होगी ...मैं कांग्रेस को अनुभवी नेताओं की पार्टी मानता हूं...मेरी हमेशा मान्यता रही है कि कांग्रेस को शासन करना आता है...लेकिन 5 जून की रात की बर्बरता ने मुझे हैरान कर दिया...समझ में नहीं आ रहा कि आखिर सरकार ने ये किया क्यों ?...उससे भी बड़ा सवाल ये उठा कि कांग्रेस को या सरकार को इससे मिला क्या?सरकार को मिला सुप्रीम कोर्ट का नोटिस जिसमें ये बताना पड़ेगा कि रात के अंधेरे में पुलिस की बर्बरता का औचित्य (justification) क्या था...सरकार ये कैसे कहेगी कि हमने ये इसलिए किया कि ये बताना था कि सरकार की ताकत क्या होती है...हम जब चाहें किसी की भी जुबान पर लगाम लगा ***ते हैं...कपिल सिब्बल ने उस दिन शाम को कहा था ( if we know to accommodate, we also know how to rein in)''हम अगर किसी के लिए रास्ता बनाना जानते है तो लगाम लगाना भी जानते है” कांग्रेस को क्या मिला..जो स्वामी रामदेव बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस की तरफ दोस्ती का हाथ बड़ा रहे थे, उन्हें अपना दुश्मन बना लिया...जो स्वामी रामदेव RSS के लोगों से दूरी बना रहे थे, अपने साथ मुस्लिम नेताओं को खड़ा कर रहे थे ताकि उनकी ऐसी छवि बने जो सबको स्वीकार्य हो - उन्हें कांग्रेस ने धक्का देकर RSS के पाले में फेंक दिया...कांग्रेस ने रात को पुलिस से स्वामी रामदेव के समर्थकों की पिटाई करवा कर, मायावती और मुलायम सिंह दोनों को रामदेव के साथ खड़ा कर दिया...जो वृंदा करात स्वामी रामदेव की खुलेआम आलोचना करती थीं, वो रात को TV Channels पर रामदेव के समर्थन में पुलिस के अत्याचार को सबसे सख्त शब्दों में निंदा करती नज़र आईंकांग्रेस और सरकार दोनों अन्ना हजारे से परेशान थी...वो रामदेव को अन्ना हजारे के जवाब के रूप में देख रही थी ...लेकिन रात को पुलिस की लाठियों और आंसूगैस ने इसे उल्टा कर दिया...जो अन्ना और रामदेव एक दूसरे से उखड़े हुए थे अब साथ-साथ हैं...अन्ना हजारे रामलीला मैदान की पुलिस बर्बरता के खिलाफ अनशन करेंगे...अब सरकार इन दोनों से एक साथ निबटना होगाकांग्रेस को क्या मिला? मिला तो बीजेपी को...जो पार्टी बार-बार उठने की कोशिश कर रही थी लेकिन उ***े पास सरकार के खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा नही था...अब पूरी ताकत के साथ मैदान में है .कांग्रेस ने उ***े हाथ में एक मुद्दा दे दिया, रामदेव जैसा लीडर दे दिया और करोड़ों लोगों का जनाधार ,लोगों को लाठियां मार-मारकर बीजेपी को उपहार में दे दिया...अब कांग्रेस को बीजेपी से, रामदेव से, अन्ना हजारे की Civil Society से, मायावती से, मुलायम सिंह से, एक साथ लड़ना है...इ***े बदले मिला क्या- लालू यादव का समर्थन जिनके लोकसभा में सिर्फ चार MP हैं और बिहार में सिर्फ बाईस MLA हैंपुलिस की लाठियां चलाने और लोगों का खून बहाने की टाइमिंग भी कमाल की थी कपिल सिब्बल ने रामदेव से हुई डील की चिट्ठी दिखाकर भ्रम पैदा कर दिया था..रामदेव defensive पर थे...वो बार-बार सफाई दे रहे थे कि चिट्ठी में सिर्फ इतना लिखा है कि हमारी सारी मांगें पूरी हो जाएंगी तो दो दिन के बाद अनशन खत्म हो जाएगा...लेकिन रात में 5000 की पुलिस फोर्स भेजकर सरकार ने रामदेव को Offensive कर दिया...अब वो लगाताक उन सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह पर हमला कर रहे हैं जिनका नाम लेकर उन्होंन पिछले पांच साल में एक शब्द नहीं कहा था. दिग्विजय सिंह ने स्वामी रामदेव को ठग कहा, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को *** कहा...सरकार से उनकी जांच कराने की मांग की...फिर हिंदुस्तान टाइम्स में खबर छपी कि CBI और ED स्वामी रामदेव के ट्रस्ट और कंपनियों की जांच करेगी...अगर स्वामी रामदेव ठग हैं तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनसे अनशन वापस लेने की अपील क्यों की ?...प्रधानमंत्री ने एक ठग को चिट्ठी लिखकर ये क्यों कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आपकी मुहिम सही है...अगर स्वामी रामदेव के ट्रस्ट और कंपनियों की जांच होनी है तो देश के Finance Minister प्रणब मुखर्जी तीन और मंत्रियों के साथ उन्हें एयरपोर्ट पर लेने क्यों गए?...अगर कपिल सिब्बल ये जानते थे कि स्वामी रामदेव भरोसे के आदमी नहीं हैं तो फिर सरकार ने भ्रष्टाचार और कालेधन के सवाल पर उनकी ज्यादातर मांगें क्यों मान ली हैं कपिल सिब्बल ने प्रेस कांफ्रेस बुलाकर ये क्यों कहा कि हमने स्वामी रामदेव की सभी मांगे मान ली हैं ?...क्या ये सरकार ऐसे व्यक्ति के साथ डील कर रही थी जि***ी जांच CBI और ED को करनी हैकौन विश्वास करेगा स्वामी रामदेव पर ठगी और बेईमानी जैसे आरोपों का ? दिग्विजय सिंह की बात समझ में आती है, उनका अपना एजेंडा है...लेकिन सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने तो कभी ऐसे एजेंडे को नहीं अपनाया...क्या अब CBI और ED के दम पर फिर से साबित किया जाना है कि सरकार की ताकत क्या होती है?...स्वामी रामदेव को ये बताना है कि हमसे लड़ोगे तो तुम्हारा दिमाग ठिकाने लगा देंगेअगर सरकार ने ये करके अपना इकबाल जतला भी दिया तो क्या मिलेगा ? ...लोकतंत्र में कोई भी जनता का विश्वास राजनैतिक दलों के लिए ऑक्सीजन का काम करता है...सत्ता का अहंकार- किसी भी पार्टी के लिए तेजाब का काम करता है...इतिहास गवाह है कि लोकतंत्र में डंडे के बल पर शासन नहीं चलता...जो सरकारें विरोध के स्वर का सम्मान करती हैं, शांतिपूर्ण ढंग से आलोचना करने वालों की बात सुनती हैं, वही सरकारें ज्यादा दिन चलती हैं...ये फैसला कांग्रेस को करना है कि उसे आक्सीज़न चाहिए या तेज़ाब-लोकशाही का गला घोंट कर की कांग्रेस ने आत्महत्या-रामदेव संिहत अनशनकारियों व राष्ट्रीय धरनास्थल जंतर मंतर पर पुलिसिया दमन से रौंदने का कुकृत्य से शर्मसार हुई लोकशाही/आज भले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कांग्रेसी सिपाहेसलार बाबा रामदेव व उनके पचास हजार से अधिक देश के हित के लिए अनशन कर रहे शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों को बर्बर पुलिसिया दमन के दम पर खदेड़ने वाले लोकशाही के गला घोंटने वाले कृत्य को जायज ठहराने के लिए कुतर्क पर कुतर्क गढ़ रहे हों परन्तु देश का आम आदमी के गले उनके ये तमाम तर्क किसी भी सूरत में नहीं उतर रहे है। देश की जनता एक ही सवाल कर रही है कि जो सरकार देश द्रोहियों को दिल्ली में देश के खिलाफ विष वमन करते हुए भी नपुं***ों की तरह मूक रहती हो, जो सरकारें भारतीय संसद पर हमला करने के दोषी फांसी पाये हुए आतंकी को फांसी पर लटकाने की हिम्मत नहीं कर पा रही हो, वो सरकार देश के हित में भ्रष्टाचारियों द्वारा विदेशों में जमा अकूत भारतीय धन को वापस लेने की मांग करने वाले सत्याग्रहियों को पुलिसिया दमन क्यों किया गया। वह भी खा***र सोते हुए लोगों पर। बच्चे बुढ़े, महिलाओं पर। भारतीय भाषाओं के लिए देश में ऐतिहासिक आंदोलन करने वाले राजकरण सिंह का कहना है कि हिं*** जंगली जानवर भी कभी सोते हुए प्राणी पर हमला नहीं करता है। मेरा भी साफ मानना है कि सरकार ने जलियावाले बाग से बदतर काण्ड करके अपनी जड़ों में जहां मट्ठा डाला वहीं जनता की नजरों में पूरी तरह से जमीदोज हो चूके भाजपा को फिर प्राण वायु दी। जलियावाले बाग में तो फिरंगियों ने अपनी सत्ता को चुनौती देने वालों को रौंदा। परन्तु यह तो यहां की सरकार ने अपने देश की मजबूती के लिए कार्य कर रहे शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों को रौंदा। 4 जून को मैं भी दोपहर को यहां बाबा रामदेव के अनशन स्थल पर उनकी राष्ट्रवादी मांगों का समर्थन करने वहां अपने भाषा आंदोलन के साथी राजकरण सिंह के साथ दोपहर 12 बजे वहां गया। वहां पर एक घंटा रहने के बाद मैं व राजकरण सिंह राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर पंहुचे। क्योंकि ऐसी घोषणा की गयी थी कि बाबा रामदेव 2 बजे के करीब जंतर मंतर आयेंगे। शायद ज्ञापन देने के लिए। जंतर मंतर पंहुच कर हमने देखा कि सरकार ने चारों तरफ से पुलिस के जवानों से इस स्थल को घेर दिया था। इससे साफ लग रहा था कि बाबा किसी भी कीमत पर वहां पर न जा ***े। इ***े बाद मैं जंतर मंतर का अध्ययन बारीकी से किया। यहां पर देश के विभिन्न भागों से लोग न्याय की गुहार करने यहां आये थे। यहां पर वे लोग आते हैं जो देश में अपनी प्रदेश सरकारों से भी न्याय नहीं मिलता है। जिनको कोर्ट कचहरी के द्वार भी बंद लगते है। ऐसे सताये हुए लोग जो भारतीय लोकशाही को मजबूत करते हैं वे यहां पर धरने पर थे। इनमें नोयडा में मायावती सरकार के जुल्मों के सताये गये किसान, दिल्ली में पुलिसिया दमन के सताये लोग, राजीव गांधी के हत्यारों को सजा देने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन। इ***े साथ ही यहां पर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने वर्षो से चलाये जा रहे जूता मार आंदोलन के प्रणेता सूर्यवंशी, इ***े अलावा कई आंदोलन के संगठन यहां पर आंदोलन रत थें। परन्तु सरकार ने बाबा रामदेव को आर *** *** का मुखोटा बता कर अपनी खाज उन निरापराध लोगों पर उतारा जो माॅं भारती के सम्मान व कल्याण के लिए हजारों किमी दूर से दिल्ली में में न्याय की आशा से आये थे। देश के हित में आये थे। ऐसे लोगों पर रात में सोते समय हमला किया गया। यह लोकशाही व मानवता के प्रति ऐसा धृर्णित अपराध हे जि***ा प्रायश्चित कांग्रेस को हर हाल में करना पड़ेगा। बाबा रामदेव को आर *** *** का मुखोटा बता कर वहां पर पुलिसिया दमन करने को उचित ठहराने वाले कांग्रेसी मठाधीशों की कार्यवाही से देश की जनता बहुत खिन्न है। कांग्रेसी सरकार बाबा को फिर किसी होटल या वार्ता के नाम पर बुला कर नजरबंद कर ***ते थे। हालांकि बाबा को बंद करने की नौबत ही नहीं थी। बाबा तो 4 जून को सरकार द्वारा मांगे माने जाने पर खुश थे वे जाने ही वाले थे कि कबीना मंत्री कपिल सिब्बल ने जो चिट्ठी दिखाई उससे बाबा व उ***े समर्थकों का गुस्सा जायज ही था। वास्तव में सरकार तो बाबा को हर हाल में सबक सिखाना ही चाह रही थी। सुत्रों के अनुसार बाबा के इस अनशन स्थल पर पुलिसिया दमन के लिए कुख्यात अधिकारी पहले से यहां पर सादी वर्दी में डेरा डाले हुए थे। यही नहंी कांग्रेसी नेता जिस प्रकार से बाबा रामदेव को ठग बता रहे हैं तो लोग प्रश्न करते हैं अगर बाबा ने कुछ गलत किया तो उन पर सरकार ने पहले कार्यवाही क्यों नहीं की। उन पर कार्यवाही केवल तब ही किया जा रहा है जब उन्होंने विदेशों में जमा भारतीय धन को वापस लाने के लिए जनांदोलन किया। इससे साफ हो गया कि विदेशों में अधिकांश पैसा कांग्रेसी नेताओं या उनके करीबियों का है। नहीं तो इस देशहित की मांग पर नाहक ही डण्डा बरसाने का क्या तुक है। बाबा रामदेव को संघ का समर्थन यकायक नहीं मिला कई महिनों से मिल रहा था। तब क्यों चार मंत्री बाबा रामदेव को मनाने हवाई अड्डे पर गये। कांग्रेस के तमाम तर्क कहीं दूर-दूर तक तर्क संगत नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह अपनी भूल को प्रायश्चित करके तुरंत राष्ट्रीय धरना स्थल पर आपात काल खत्म करे। इससे पहले भी सरकार ने इस स्थल पर जहां पर ही देश में लोकशाही जीवित है उस पर प्रतिबंध लगाया। गुलामी के बदनुमा कलंक के प्रतीक राष्ट्रमण्डल खेलों के समय भी सरकार ने ऐसी ही आत्म घाति कदम उठाये परन्तु तब भी न तो विपक्ष ने अपितु किसी भी मीडिया ने इस पर प्रश्न तक न करके अपना मुखोर्ट भी बेनकाब कर दिये। ऐसे में बाबा रामदेव को आर *** *** का ऐजेन्ट कह देने से जनता उनको गुनाह गार नहीं मानती। परन्तु बाबा रामदेव को भी समझमें आ ही गया होगा कि सरकार से लड़ाई उतनी सहज नहीं है जितना वे समझ रहे थे। उनको निशंक व तिवारी जैसे नेताओं से निरंतर दूरी बनायी रखनी होगी। अपने हर कार्य को पारदर्शिता के साथ आंदोलन में अपने आप को बचाने के लिए नहीं अपितु उस जनता को जो उन पर विश्वास करके वहां पर आयी थी उनकी ढाल बनने का काम करना चाहिए। अपने संगठन को किसी के समर्थन की बेशाखियों के बजाय ऐसे जांबाज व सदचरित्र लोगों की पूरे भारत में ऐसा जांबाजी संगठन बनाये जो ऐसे दमनकारी तत्वों से बचने में ***्षम हो। देश की जनता जानना चाहती है कि मनमोहन सिंह जो पुलिसिया दमन करने का इतना ही शोक था तो वे क्यों जमाखोरों व देश को मंहगाई की गर्त में धकेलने वाले भ्रष्टाचारियों व आतंकी पर ऐसा करे। परन्तु उन पर कार्यवाही करने की हिम्मत तो प्रधानमंत्री व उनकी सरकार ने दिखाई नहीं हाॅं देश की महानायिका रही इंदिरा गांध्ंाी जिनके देश हित के कार्यो के कारण कांग्रेस सत्तासीन है उनको गुनाहगार बताने का काम उनकी कांग्रेस ने किया तो इंदिरा के नाम की दुहाई लेने वाले कांग्रेसियों को सांप सुंघ गया। किसी मंत्री से लेकर संगठन के नेता में इतनी हिम्मत भी नहीं रही कि वे अपने पद से इस काण्ड के विरोध में इस्तीफा दें। शेष श्री कृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय नमो



अशोक नामक एक पत्रकार की जुबानी

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