हिंदी शोध संसार

गुरुवार, 27 जनवरी 2011

सच बोलेगा

सच बोलेगा।
एक न एक दिन
मुर्दा भी मुंह खोलेगा।।
मगर तब तक
हरिश्चंद्र बिक गया होगा।

रानी तारामती भी बिक गई होगी।
रोहित का तो दाम भी नहीं लगेगा।
शायद तब भी सच न बोले।
अपना मुंह न खोले।
आखिर श्मशान में जो मिलना।
कफन और कर जो चुकाना है।
तब तक सच कैसे बोलेगा।
अपना मुंह कैसे खोलेगा?
मगर एक ना एक दिन
सच बोलेगा
अपना मुंह खोलेगा।

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