हिंदी शोध संसार

रविवार, 16 जनवरी 2011

बड़ी संख्या में विदेशी सीख रहे हैं हिंदी





टाइम्स ऑफ इंडिया से साभार
हिंदी अनुवाद- सत्यजीत प्रकाश
भारत की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक जल्द ही मंदारिन और स्पेनिश की तरह दुनिया की लोकप्रिय भाषा बन सकती है और इसके पीछे पैसा है। वैश्विक कंपनियों के लिए भारत व्यवसाय के केंद्र के रूप में उभरा है और
यही कारण है कि ज्यादा से ज्यादा विदेश हिंदी सीख रहे हैं. विदेशियों को हिंदी सीखाने के लिए एक कोचिंग चला रहे चंद्रभूषण पांडे का कहना है कि जो विदेशी भारत आकर रहना चाहते हैं या जो यहां व्यवसाय स्थापित करना चाहते हैं वो हिंदी बेहतर परिणाम के लिए हिंदी सीखने की जरूरत समझ रहे हैं। हालांकि भारत में व्यवसायिक भाषा अंग्रेजी ही है, लेकिन भारत की सांस्कृति विविधता को समझने के लिए वो हिंदी सीखना आवश्यक समझते हैं।
पांडे हर महीने करीब चालीस विदेशियों को हिंदी सिखाते हैं। पांडे का कहना है कि पिछले आठ सालों में हिंदी बोलने वालों की मांग में पचास प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हिंदी बोलने और समझने की क्षमता उन्हें भारत की संस्कृति और इतिहास को समझने का अवसर प्रदान करता है।
विदेशी कंपनियां भारत में ऑफिस खोल रही हैं। ये कंपनियां अपने अधिकारियों को हिंदी सीखने के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि भारतीय प्रतिनिधियों के साथ उनका संबंध बेहतर हो और उनका व्यवसाय खूब बढ़े।
विदेशी व्यवसायी जो अपने भारतीय सहयोगियों के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर पाते हैं वो यहां ज्यादा सफल है। गुड़गांव स्थित एक हिंदी भाषा विशेषज्ञ नीरज मेहरा का कहना है कि वो विदेशियों को नमस्कार, शुक्रिया और धन्यवाद जैसे शब्द सिखाते हैं ताकि उन्हें बेहतर परिणाम मिल सकें।
मेहरा उन्हें सांस्कृति प्रशिक्षण भी देते हैं ताकि वो भारतीय प्रतिनिधियों के साथ संबंध बेहतर कर सकें।  उनका कहना है कि अगर कोई विदेशी हाथ मिलाकर हेलो करने बजाय आपको हाथ जोड़कर नमस्ते कहे तो ये ज्यादा बेहतर लगेगा।
भारत के गैर-सरकारी संगठनों के साथ काम करने वाले विद्वान और विशेषज्ञ भी स्थानी लोगों के साथ मेलजोल के लिए हिंदी सीख रहे हैं।
स्वीटरजरलैंड की जुलियट दिल्ली के एक एनजीओ में काम करती हैं, उनका कहना है कि पहले उन्हें लगता था कि पहले उन्हें लगता था कि अंग्रेजी काफी है, लेकिन कार्यक्षेत्र में काम के दौरान उन्हें पता चला कि हिंदी सीखना बेहद जरूरी है.
फ्रांस की सेसिला का कहना है कि वो हिंदी सीख रही हैं। क्योंकि वो स्थानीय लोगों को बताना चाहती हैं कि वो इस देश और यहां की संस्कृति से जुड़ते हुए देखना चाहती हैं।
विदेशों में हिंदी फिल्मों की लोकप्रियता भी हिंदी भाषा को बढ़ावा दे रही है।
तजाकिस्तान के छात्र अबुजर का कहना है कि उनके देश में हिंदी फिल्में काफी लोकप्रिय हैं। हजारों लोग वहां हिंदी फिल्में देखते हैं इसी से मुझे लगा कि हिंदी सीखनी चाहिए।
भारत का पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। 2010 में करीब पचपन लाख लोग भारत घूमने आये उनमें से कई लोग हिंदी सीख रहे हैं।

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