पर्याप्त शोध और सर्वेक्षण के आधार पर अध्यार्थियों ने पत्रकारों को तीन श्रेणियों में बांटा-
- धोबी पाट पत्रकार- इस श्रेणी में वो पत्रकार आते हैं जिनका एजेंडा तय होता है. उनको क्या कहना है, किसकी प्रशंसा करनी है, किसकी आलोचना करना है ये तय होता है. ये पत्रकार अपनी लीक नहीं बदला करते हैं. इस श्रेणी में नामी-गिरामी पत्रकार शामिल हैं. इस श्रेणी के ज्यादातर पत्रकार गांधी नेहरू परिवार की वंदना करते अक्सर मिल जाते हैं. सोनिया-राहुल-प्रियंका के चरणों में नत रहते हैं. कभी उनकी आलोचना नहीं कर सकते. उनकी नीतियों को हर प्रकार से सही ठहराते हैं.
ऐसे पत्रकारों की संख्या- बीस प्रतिशत
- भेड़चाल पत्रकार- वैसे पत्रकार जो जानते कम, मानते ज्यादा है. ये पत्रकार है धोबी पाट पत्रकार को सुनते हैं और उन्हीं का अनुकरण करने की कोशिश करते हैं. इनके आंकड़ों, तथ्यों और शैली में ज्यादा अंतर नहीं होता है. ये धोबी पाट पत्रकार को अपना आदर्श मानते हैं. उनपर मुग्ध होते हैं, और उन्हीं का अनुकरण करते हैं
ऐसे पत्रकारों की संख्या- साठ प्रतिशत
- अनजान पत्रकार- इस श्रेणी के पत्रकारों को ना जानने से फर्क पड़ता, ना ही नहीं जानने से. ये जान-अनजान से मुक्त रहते हैं. दुनिया जाए भांड में हमको क्या मतलब. बस पैसा आ रहा है और हम खा रहे हैं.
ऐसे पत्रकारों की संख्या- पंद्रह प्रतिशत
शेष पांच प्रतिशत पत्रकारों को किसी श्रेणी में नहीं रखा जा सका है.
हाहा-- वैसे सत्य है...
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