हिंदी शोध संसार

गुरुवार, 17 जून 2010

खुशियों की गारंटी

भाई साहब ने आज चिंटू की जमकर पिटाई कर दी. पूरे मुहल्ले के लिए आज ये एक बड़ी खबर है. चिंटू की पिटाई से लोग खुश भी हैं और नाखुश भी. क्योंकि चिंटू भाई साहब का इकलौता बेटा है. उसकी मम्मी ने तो आज तक उसे फूल की पंखुड़ी से भी नहीं छुआ होगा. चिंटू की पांच बड़ी बहनों का क्या मजाल जो उसे छू भी दे. भाई साहब के पास भी इतनी हिम्मत कहां थी कि वो चिंटू को छू भी सके. मगर, भाई साहब भी करें क्या. वो भी मुहल्लावालों की रोज-रोज की शिकायत से आजीज आ चुके थे. और चिंटू की पिटाई कर दी.
चिंटू ना गणित सीखना चाहता है और ना विज्ञान. वो ना तो खेल में रूचि थी और ना साहित्य में. आप समझ रहे होंगे. वो अवारा गर्द टाइप का लड़का होगा. यहां ये भी साफ कर दूं कि वो आवारागर्दी भी नहीं करता था. वो चिढ़ थी मास्टरों से. उसे चिढ़ थी पढ़ाई से.
क्योंकि उसका अपना गणित था और अपना विज्ञान. साहित्य पढ़ने से आनंद मिलता है मगर इसके लिए उसे साहित्य पढ़ने की भी जरूरत नहीं थी. ( जो कुछ कह रहा हूं वो चिंटू के मुताबिक). पढ़ने से क्या मिलता है. क्या रखा है गणित और विज्ञान में. क्या होता है साहित्य पढ़ने से. चिंटू की अपनी सोच थी. उसने मम्मी-पापा को भी अपनी बात समझाने की कोशिश की. मगर वो समझाने में नाकाम रहा.
आखिरकार उसे एक दिन मौका मिल ही गया, अपना दर्शन बघारने का. स्कूल जा रहे बच्चों को उसने रोक लिया एक पेड़ के नीचे- कहने लगा-
दोस्तों, हम बच्चों तुम तो जानते हो कि मुझे पढ़ने लिखने में मन नहीं लगता है, इसलिए ये भी समझ लोग कि मैं तुझे पढ़ाने की कोशिश नहीं कर रहा हूं. मैं पढ़ने-लिखने में विश्वास नहीं करता हूं. मुझे पढ़ाई लिखाई में कोई दिलचस्पी नहीं है. आखिर दोस्तों तुम्ही बताओ, सवेरे-सवेरे उठना, पढ़ाई करना, फिर स्कूल जाना, स्कूल से आते ही फिर पढ़ाई करना, आखिर ये भी कोई जिंदगी है.
दोस्तों कुछ नहीं, ये हमारी जिंदगी के खिलाफ साजिश है, षडयंत्र है. जो हमारे माता पिता और गुरूजी मिलकर रचते हैं. वो हमें आजाद नहीं देखना चाहते हैं. हर तरफ अनुशासन, पढ़ाई, डांट. इसके सिवा हमें क्या मिलता है. पढ़ने लिखने के बाद मिलती है कलर्क की नौकरी. क्या होता है इस कलर्क की नौकरी से.
तो फिर हमें क्या करना चाहिए?
दोस्तों मेरी मानो तो हमें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है. हमारे लिए हमारी सरकार जो कर रही है. सरकार ने हमारे लिए ही नरेगा जैसा महत्वाकांक्षी  कार्यक्रम बनाया है. वो हमारे लिए ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना लायी है. जब सरकार हमारे रोजगार की गारंटी दे रही है तो हमें पढ़ने लिखने की क्या जरूरत है. क्या तुमलोगों ने सुना नहीं कि ग्रामीण रोजगार योजना हिंदुस्तान की गारंटी है. क्या ये गलत है कि ये खुशियों की गारंटी नहीं है. ये किसी पाउडर बेचने वाली कंपनी विज्ञापन नहीं है, बल्कि ये सरकार का संदेश है. सरकार लोगों को संदेश दे रही है कि वो हिंदुस्तान को खुशियों की गारंटी दे रही है. फिर तुम्हीं बताओं कि हमें पढ़ने लिखने की क्या जरूरत है.
चिंटू के इस दर्शन ने मुहल्ले वालों को गर्मा दिया. सबने चिंटू के पापा से शिकायत की कि अपने तो आपका बेटा दिनभर आवारागर्दी करता ही है, वो हमारे बच्चों को भी आवारागर्दी सिखा रहा है.
इसी बात पर भाई साहब ने चिंटू को पीट दी. अब आप ही बताइये इसमें चिंटू की क्या गलती है.

4 टिप्‍पणियां :

  1. भाई ऐसे बच्‍चे का अमेरिका भेज दो, यहाँ माता-पिता बच्‍चे को मार नहीं सकते। बच्‍चा कुछ भी करे वह स्‍वतंत्र है। सरकार बिना नरेगा के काम के ही उसका ध्‍यान भी रखती है।

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  2. बिल्कुल ठीक है जी. कोई गलती नहीं है बच्चे की..

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