हिंदी शोध संसार

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

हर कोई बिक रहा है, आरोपी और आरोप लगाने वाला भी

कौन नहीं बिक रहा है
अंग्रेजी के बड़े-बड़े अखबारों में हिंदी, मराठी गुजराती(यू कहें, क्षेत्रीय अखबारों) के खिलाफ एक अभियान चलाया जा रहा है कि ये पत्रकारिता के मूल्यों को तार-तार कर रहे हैं. पैसे लेकर खबर छापते हैं. प्रतिष्ठित समाचार पत्र "द हिंदू" नामचीन पत्रिका "आउटलुक" जैसे अंग्रेजी अखबारों और मैगजीन ने इस अभियान को खूब बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया. इस मुहिम में पी साईनाथ जैसे वरिष्ठ और प्रतिष्ठित पत्रकार भी शामिल थे.
मैं बतला दूं कि मैं अखबारों की इस घटिया हरकत का समर्थक नहीं हूं, लेकिन क्षेत्रीय पत्रकारिता के खिलाफ एकतरफा अभियान के खिलाफ जरूर हूं.
इस खबर को पढ़िए
पता चल जाएगा कि केवल क्षेत्रिय समाचार पत्र ही इस घिनौती हरकत में शामिल नहीं हैं बल्कि अंग्रेजी के तथाकथित बड़े-बड़े अखबार और पत्र-पत्रिकाएं भी शामिल हैं. इनकी पहुंच वेटिकन से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों, समाजवादी से लेकर साम्यवादी देश, खाड़ी से लेकर टिपोरी तक है.
अगर इजाजत हो तक इसका लेखा-जोखा किसी दूसरे दिन प्रस्तुत कर सकता हूं.
फिलहाल लिंक को पढ़ लीजिए.

जय हिंदी जय भारत

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