हिंदी शोध संसार

शनिवार, 27 सितंबर 2008

यह कांग्रेस ही है, जहां जरूरत से ज्यादा चमचे हैं-



कांग्रेसी भाईयों बूरा मत मानना. ये उद्गार वीरप्पा मोइली के उस बयान की तर्ज पर निकल गया जिसमें उन्होंने कहा, यह भारत ही है, जो जरूरत से कुछ ज्यादा ही लोकतांत्रिक है.
उनका बयान नानावटी आयोग की रिपोर्ट के बाद आया, जिसमें आयोग ने कहा कि गोधरा कांड सुनियोजित साजिश का परिणाम था और राज्य सरकार की विफलता की बात गलत है. ये रिपोर्ट छद्म-निरपेक्षता के झंडाबरदारों और तथाकथित मानवाधिकार वादियों के लिए अनुकूल नहीं थी. उन्होंने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सुप्रीमकोर्ट तक पहुंच गए और कोर्ट से रिपोर्ट पर रोक लगाने की मांग तक कर डाली.
अब बात वीरप्पा मोइली की. कांग्रेस प्रवक्ता वीरप्पा मोइली ने नानावटी आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए कहा कि मोदी ने खुद यह आयोग बनाया और जज नियुक्त की, इसलिए उसकी रिपोर्ट सही नहीं हो सकती है. इससे दो कदम आगे बढ़कर वीरप्पा मोइली ने कहा, अगर कोई दूसरा देश होता तो मोदी को फांसी होती, यह वही भारत है, जो जरूरत से ज्यादा लोकतांत्रिक है.
मोइली के बयान की तर्ज पर इतना कहा जा सकता है कि यह कांग्रेस ही है जिसमें जरूरत से ज्यादा चमचे है(क्या वीरप्पा मोइली को दरकिनार कर सकते हैं).
चमचे साहबों, अगर मोदी को फांसी हो सकती है तो कांग्रेस पार्टी में नब्बे प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिन्हें फांसी दी जा सकती है(इनमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी शामिल हैं) याद है आपको, राजीव गांधी ने 1984 के सिक्ख दंगों के बाद क्या कहा था. नहीं याद है तो याद दिलाता हूं- कहा था, जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है. एक इंदिरा गांधी की हत्या क्या हो गई कि आपने मानवता का परिभाषा ही बदल दिया.
वोट की खातिर वीरप्पा मोइली जैसे चमचे क्या क्या नहीं करते. क्या मोइली में हिम्मत है कि वह संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरू को बचाने में जुटे अपने कांग्रेसी नेताओं को फांसी पर लटकाने की बात करे. अगर अफजल दोषी नहीं है तो उसे क्यों जेल में रखे हो, छोड़ क्यों नहीं देते. लेकिन तुम छोड़ने वाले कौन होते हो. सुप्रीमकोर्ट उसे फांसी की सजा दे चुका है, फांसी की सजा पर पुनर्विचार याचिका खारिज कर चुका है. फिर भी तुमलोग उसे मेहमान बनाये हुए और कहते हो कि मोदी को फांसी की सजा होनी चाहिए.
तुमलोग ही हो जो वोट बैंक बचाये रखने के लिए सुप्रीमकोर्ट का फैसला बदल दिेए थे. क्या शाहबानों मामला भी तुम्हें याद नहीं है.
तुम चमचों को छोटी-मोटी बातें भी राष्ट्रीय शर्म लगती है और किसी चुनी हुई राज्य सरकार के खिलाफ संवैधानिक शक्ति का इस्तेमाल करने लगते हो. क्या तुम्हें पता नहीं कि महाराष्ट्र में क्या हो रहा है. क्यों हिंदी भाषियों को निशाना बनाया जा रहा है. औरंगाबाद के खोमचा बेचने वाले का जब मुंबई में हाथ काट दिया गया तो तुम्हें क्यों नहीं राष्ट्रीय शर्म आई. महाराष्ट्र में तुम्हारी सरकार है. क्यों नहीं तुम राजठाकरे का बाल-बाका कर लेते हो. असम में हिंदी भाषियों की लगातार नृशंस हत्या हो रही है क्यों तुम लोगों को शर्म नहीं आती. उसके लिए तुम क्यों नहीं संवैधानिक अधिकार का उपयोग करते.
नंदीग्राम में नौ महीने तक जनसंहार चला, उस समय आप चमचों को धारा-355 की बात क्यों नहीं याद आई.
आपने यूसी बनर्जी बनाकर मन मुताबिक रिपोर्ट बनवायी और बिहार चुनाव से पहले रिपोर्ट जारी करवाया. बिहार में गोधरा की सीडी बंटवायी. वो सब ठीक था. लेकिन नानावटी आयोग ने जो रिपोर्ट दिया वो गलत है. यदि रिपोर्ट अगर आपकी मर्जी के अनुकूल होती तो पता नहीं क्या करते(ऐसे तो मोदी को फांसी देने की बात कर रहे हो)
भागलपुर दंगे की बात क्यों भूल जाते हो, क्यों नहीं अभी तक उन लोगों को न्याय मिला जो इस दंगे का शिकार हुए थे. क्या तुष्टिकरण ही धर्मनिरपेक्षता है. क्या चमचागिरी ही राजनीति है. मैडम को खुश करने के लिए उनकी स्तुति करना आपके राजनीति में टिके रहने का राज है.
खुद से पूछिए, कितने लोग है, आपकी सरकार में जो जनता की नुमाइंगी करते हैं. प्रधानमंत्री एक ऐसे व्यक्ति हैं जो कभी एक चुनाव नहीं जीत सकते. गृहमंत्री वो है जो चुनाव हार जाते हैं, इसके बावजूद देश के गृहमंत्री हैं. लोगों के खून पर कपड़े बदलते हैं. आपके मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह जी हैं, जो आतंकवादियों को मदद करने वालों के पक्ष में खड़े होते हैं और उनकी तारीफ करते हैं. आपके सहयोगी मुलायम, रामविलास और लालू सिमी का गुनगान करते हैं और आप सुप्रीमकोर्ट में उस पर प्रतिबंध की याचिका देते हो.
कितने लोगों को फांसी दोगे, वैसे भी फांसी का विरोध करने वालों की कमी नहीं है. हमारे देश के मानवाधिकार वादी और श्यूडो-सेक्यूलर विंग केवल मोदी पर निशाना साधते हैं, क्यों नहीं राजीव गांधी को कटघरे में खड़े करते हो.

2 टिप्‍पणियां :

  1. चमचा कल्‍चर की असली प्रतिनिधि है सोनिया पार्टी।

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  2. Aapka gussa jayaj hai. jahan tak veerappa moily ka saval hai vah hamare pradesh ke nakara mukhyamantri rahe hain. unhen delhi men khapaya gaya. vahan to bina chamchagiri kaise khapenge? aapki baat sahi hai ki ek jaise mudde par dogli neeti koi congress se sikhe.

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