हिंदी शोध संसार

शुक्रवार, 22 अगस्त 2008

गुजरा हाथी सुई की छेद से

गुजरा हाथी सुई की छेद से


कई बार लगा कि निजी जिंदगी की परेशानी को सार्वजनिक नहीं करूं, लेकिन शास्रीजी के क्रेडिटकार्ड वाली कथा पढ़कर हिम्मत बढ़ी और सोचा व्यक्तिगत परेशानी ही सार्वजनिक होती है.

बीएसएनएल-यानी-भारत संचार निगम लिमिटेड से 500प्लस का इंटरनेट ब्राडबैंड कनेक्शन लिया. इस प्लान में ढाई जीबी डाऊनलोड फ्री था. मैंने सोचा काफी है. इससे आगे अनलिमिटेड प्लान 900रुपये का था. सोचा 500प्लस से ही काम चल जाएगा. महीने के अंत में जब बिल आया तो पैर तले जमीन खिसकने लगी. यह बिल था-3999रुपये का. मैंने सोचा था ज्यादा से ज्यादा 900रुपये बिल आएगा, लेकिन 3999 रुपये का बिल देखकर परेशानी बढ़ गई. पहले पहल लगा कहीं गलत तो नहीं है. टेलीफोन एक्सचेंज गया, वहां कर्मचारियों ने बताया 20000-20000 रुपये बिल आता है. आप जितना यूज करेंगे उतना बिल आएगा. आपने यूज किया होगा तभी बिल आया. बड़े ऑफिस जाकर वहां पता किया, तो बताया कि आपने कुल 8000 एमबी यूज किया. इसमें 2500एमबी प्लान के तहत फ्री+1500एमबी नाइट यूज हटा दीजिए तो 4000एमबी एक्सट्रा यूज का पैसा भरना होगा.

समझ में नहीं आया कि कैफे वाले कैफे कैसे चलाते हैं. जब घर पर सिंगल कनेक्शन के लिए बीस-बीस हजार रूपये चुकाना पड़ता है तो उन्हें कितना चुकाना पड़ता होगा. वैसे भी मैं बारह घंटे ऑफिस में रहता हूं और कम से कम छह सात घंटे सोता हूं. बामुश्किल चार पांच घंटे रोजाना इस्तेमाल होता है. हां, साप्ताहिक अवकाश के दिन चार पांच घंटे ज्यादा यूज कर लेता हूं. लेकिन वो भी महीने में महज चार-पांच दिन हीं ना. उस पर ये भारी भरकम बिल. आखिर चुकाना पड़ा. दूसरे महीने बारह दिनों के लिए इस्तेमाल बंद कर दिया तो 750 रुपये बिल आया, फिर तीसरे महीने का बिल 2999 रुपये. चौथे महीने का बिल 699रुपये. चूंकि 500प्लस कम से कम तीन महीने के लिए है इसलिए इस दौरान अनलिमिटेड भी नहीं किया गया. अनलिमिटेड प्लान के लिए महज 750रुपये प्लस सेवाकर देना पड़ता है. इस तरह पहलीबार सूई की छेद से हाथी गुजरते हुए देखा.

कुछ ऐसा ही हाल रिलाइंस वालों का है.

इनसे डाटा कार्ड कनेक्शन लिया 3000रुपये में. 650 प्लान वाला. बाइसवें दिन एसएमएस आया-395रुपये के बिल का. मैंने सहर्ष जमा कर दिया. फिर तीसवें ही दिन1072 रुपये का बिल आ गया. मैं पूछ ही रहा था कि इतना बिल कैसे आ गया, रिलाइंस वालों ने मेरा कनेक्शन काट दिया.

मैं कनेक्शन के लिए कस्टमर केयर से बात की, अब होगा तब होगा.. छह सात दिन के बाद साफ किया कि निकट के वेबवर्ल्ड में जाइए. वहां गया, वहां भी यही रवैया, दो घंटे में हो जाएगा, फिर दो दिन में हो जाएगा. पांच सात दिन के बाद तय हुआ कि जहां से लिए थे वहां जाएगा. रिलाइंस वेब वर्ल्ड पर डाटा खरीदने गया तो वहां कहा गया कि उनका एजेंट मेरे पास आएगा. उसी एजेंट से डाटा कार्ड लिया. एजेंट महाशय की धूर्तता देखिए, एक दो बार फोन उठाए भी, बाद में उन्होंने फोन उठाना भी गंवारा नहीं समझा. मैंने रिलाइंस वेब वर्ल्ड में शिकायत की, वहां मौजूद मोहतरमा ने मेरी प्रेयसी-सी मुस्कुराते हुए कहा, सर आज शाम तक हो जाएगा. मैं लौट आया. शाम क्या कल तक नहीं हुआ, फिर उन्हीं से शिकायत की. फिर वही माया मुस्कान, आपने जो पता दिया था वो गलत था, इसलिए एक दो रोज का वक्त लग जाएगा. दो रोज क्या पांच रोज के बाद उन्होंने मेरा दिल तोड़ते हुए कहा, आपका पता गलत है, इसलिए नहीं होगा. मैंने पूछा, क्या मेरा 3000 हजार का डाटा कार्ड बेकार हो जाएगा, तो उन्होंने कहा, मैं कुछ नहीं कर सकती, आप हेड ऑफिस जाकर पता करिए(मेरा एड्रेस गलत है आपको डाटा कार्ड जारी करने से पहले बताना चाहिए, आपने तीन हजार का डाटा कार्ड दे दिया इसके बाद आप ये सब बता रही हैं.) पंद्रह बीस दिन बाद हेड-ऑफिस पहुंचा, वहां मुझसे सारे कागजात लिए गए, और कहा, आपका घर जाइए, आपका काम हो जाएगा. लेकिन काम नहीं हुआ, मैंने कस्टमर केयर ऑफिसर से बात की. उन्होंने कहा, मैं वेरीफिकेशन के लिए गया आप घर पर नहीं थे(अजब है यार मैं घर पर नहीं था, मेरा घर भी वहां नहीं था). सच है कि महाशय घर पहुंचे ही नहीं.

और, मैंने हारकर मिन्नतें करनी छोड़ दी. तीन महीनें बाद उन्हीं में से किसी का फोन आया. बोले, आप रिलाइंस डाटाकार्ड यूज कर रहे हैं. मैंने कहा, आपने कनेक्शन काट रखा है. इसके बात उनकी जुबां से आधुनिकता से लबालब वही शब्द निकला, जो आपकी लाख गलतियों और गुस्ताखियों को ढकने के लिए काफी है. एक नहीं, दो नहीं, कई बार निकल गया ये सॉरी जैसा गुस्ताख शब्द. आप कुछ नहीं कर सकते हैं.

चूंकि इस दौरान में वीएसएनएल का ब्राडबैंड कनेक्शन ले चुका था, इस उन महाशय से कहा, कोई ऐसा प्लान बताइए जिससे डाटा कार्ड से भी हमारा कनेक्शन बना रहे. उन्होंने कहा, आपको हर महीने 125 रूपये देना होगा इसके लिए और मेरा कनेक्शन जुड़ गया. एक महीने बाद जो बिल आया वह था 693 रुपये. जबकि मैंने डाटाकार्ड का इस्तेमाल एक दिन भी नहीं किया. क्यों और कैसे का जवाब होता था, आपने यूज किया होगा. कब और कितना का जवाब देने वाला कोई नहीं है और मैंने अभी तक बिल नहीं जमा किया, हर महीने इस बिल में कुछ न कुछ जुड़ता जाता है और अब यह बिल नौ सौ के करीब हो गया है.

ये है बीएसएनएल और रिलाइंस की सत्यकथा.

आईसीआईसीआई भी इससे काफी पीछे नहीं है.


लैपटॉप लेना था, एक दोस्त ने बताया, क्रेडिट कार्ड से ले लो, ईएमआई में चुका देना. बैंक वालों से मैंने पूछताछ की. बोले, लैपटॉप लेकर बताइये, ईएमआई हो जाएगा. मैंने इंट्रस रेट से बारे में पूछा, तो उन्होंने दो प्लान बताया, पहला कि यदि आप छह माह में चुका देते हैं तो मात्र पंद्रह सौ रुपये एकमुश्त इंट्रस जमा करना होगा. मुझे ये प्लान अच्छा लगा और मैंने लैपटॉप लेकर उन्हें इसकी जानकारी दी कि ईएमआई कर दीजिए, वो बोले सोलह सौ रुपये जमा कर दीजिए, फिर सूचित करिए. हो जाएगा. पंद्रह सौ के बदले मैंने सोलह सौ रुपये जमा कर दिया. फिर कहने गया तो पता चला कि उनका इंट्रस रेट बढ़ गया है. कहने का मतलब अड़तालीस घंटे में दो बार इंट्रस रेटस बढ़ चुका है और मुझे अट्ठारह सौ रुपये जमा करने होंगे. काफी परेशान होगा. अंतत बैंकवालों ने इक्कीस सौ बाईस रुपये जमा करवाकर ईएमआई फिक्स किया.

इति श्री बाजार भारत कथा.

प्रसंगवश-(क्षमा करेंगे न कवि का नाम याद है ना ही पूरी कविता, जो याद है वो इस तरह है)


दमन की चक्की पीस रहा इंसान

बापू के बंदर की भांति बैठे हैं बेईमान

दमन की चक्की पीस रहा इंसान


खरिया मिला रहे आंटे में

खाता दिखा रहे घाटे में

(स्वगत) इन्हें देख अब नहीं रोते

हैं बापू के प्राण

दमन की चक्की पीस रहा इंसान



3 टिप्‍पणियां :

  1. आपका ब्लॉग फायरफॉक्स ब्राउसर में नहीं पढ़ा जा रहा, पोस्ट का आधा टेक्स्ट यू-ट्यूब के वीडियो छिपा लेते हैं, कोई पढ़ कैसे पायेगा?
    और कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लें, वरना जो टिपण्णी करना भी चाहते हैं नहीं कर पाएंगे (किसी के पास इतना टाइम नहीं है).

    उम्मीद है की कभी आपके लिखे पर भी टिप्पणी करूंगा!

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  2. विचार जी,
    मैं भी अपना ब्लॉग फायर-फॉक्स में ही देख रहा हूं. आपने कथनानुसार मैंने यू-ट्यूब के वीडियो का साइज छोटा कर दिया है साथ ही वर्ड-वैरीफिकेशन भी हटा दिया है. अब तो मुस्कुरा दीजिए.

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  3. अच्छा है आपने लिख दिया. बाकी लोगों को चेतावनी का कार्य करेगा-सब सजग रहेंगे.

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