हिंदी शोध संसार

शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2007

माता शत्रु पिता वैरी ये न बालो न पाथितः
न शोभते सभा मध्य हंसा मध्य बकोयथा


वे माता शत्रु और पिता वैरी के समान हैं जो अपने बच्चों को नहीं पढाते हैं, बिना पढा-लिखा लड़का वैसा ही होता है जैसे हंस के बीच में बगुला.

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