सोमवार, 12 नवंबर 2007

सत्य नास्ति परोधर्मः

सत्य से बढकर कोई धर्मं नहीं है।

ज्ञानं भारः क्रिया बिना

कर्म के बिना ज्ञान भार के समान है।

संतोषम परम सुखं

संतोष सबसे बड़ा सुख है।

वीर भोग्य वसुन्धरा

धरती वीरों के भोग के लिए है

शरीर माध्यम खलु धर्मं साधनम

शरीर ही धरम का साधन है

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