सत्य नास्ति परोधर्मः
सत्य से बढकर कोई धर्मं नहीं है।
ज्ञानं भारः क्रिया बिना
कर्म के बिना ज्ञान भार के समान है।
संतोषम परम सुखं
संतोष सबसे बड़ा सुख है।
वीर भोग्य वसुन्धरा
धरती वीरों के भोग के लिए है
शरीर माध्यम खलु धर्मं साधनम
शरीर ही धरम का साधन है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें