हलचल मचा गया,
संत वो, हलचल मचा गया।
पथ में पड़े जो रजकण थे,
वो भी भरने लगे हुंकार।
एक बुलाए, हजारों आए,
करने लगे पुकार।
उठाओ ऊंगली,
बांधो मुठी,
जीना सिखा गया,
संत वो, हलचल मचा गया।
वक्त आ गया जगने का अब
तू-तू, मैं-मैं छोड़ो,
हमें समझ नादान, लड़ाते
उनसे नाता तोड़ो,
सुनो पुकारे, अन्ना हजारे
नव युग का गांधी आ गया
संत वो, जीना सिखा गया।
देख तुम्हारे, बुलंद इरादे
प्राण फूंक दे मुर्दों में,
तेरे हाथों में देख तिरंगा
हाहाकार मच गया भ्रष्टों में
कपटी और कुटिल ताकतों से
लड़ना सिखा गया
संत वो, हलचल मचा गया।
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